प्रवर्तन निदेशालय ने चीनी स्मार्टफोन निर्माता वीवो और कुछ अन्य कंपनियों के खिलाफ अपना शिकंजा कस दिया है.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय ने वीवो और इससे जुड़ी कुछ दूसरी कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के सिलसिले में अपनी पहली चार्जशीट दायर कर दी है. इस चार्जशीट में ईडी ने कई तथ्य पेश किये हैं.
जानकारी के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत विशेष अदालत के सामने बुधवार को अभियोजन पक्ष की शिकायत दायर की गई थी. ईडी की चार्जशीट में पूरे मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के अलावा वीवो-इंडिया को भी आरोपी बनाया गया था. जिसके बाद आज पहली चार्जशीट पेश कर दी गई है.
ईडी ने स्पेशल कोर्ट में अपने रिमांड में कहा था कि चारों गिरफ्तार लोगों की कथित गतिविधियों के चलते वीवो-इंडिया को गलत तरीके से लाभ प्रदान किया गया. यह कदम भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए हानिकारक था. ईडी का कहना था कि भारत में टैक्स के भुगतान से बचने के लिए वीवो-इंडिया की तरफ से 62,476 करोड़ रुपये की भारी रकम अवैध रूप से चीन में ट्रांसफर की गई थी.
मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत के बाद जांच एजेंसी ईडी ने पूरे मामले में पिछले दिनों लावा इंटरनेशनल मोबाइल कंपनी के एमडी हरिओम राय समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार लोगों में चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ एंड्रयू कुआंग के अलावा चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक हैं.
ईडी ने दिल्ली पुलिस की एफआईआर की स्टडी करने के बाद वीवो की सहयोगी कंपनी ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (जीपीआईसीपीएल) के खिलाफ केस दायर किया था. कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से पुलिस शिकायत दर्ज की गई थी कि जीपीआईसीपीएल और उसके शेयरधारकों ने दिसंबर 2014 में कंपनी के गठन के समय फर्जी दस्तावेज गलत पते का इस्तेमाल किया था.
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