इटली अब चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव यानि बीआरआई का हिस्सा नहीं है। इस बात के कयास कई दिनों से लगाए जा रहे थे, जिसके बाद अब इटली ने इसपर आधिकारिक तौर पर मुहर लगा दी है। इटली का चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से किनारा करना रणनीतिक तौर पर चीन को बड़ा झटका है।
इटली का बीआरआई से मोहभंग होने के कयास तभी से लगाए जा रहे थे, जब नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। उस समय खबर आई थी कि चीन के प्रधानमंत्री को इटली ने इस परियोजना से हाथ खींचने के बारे में बता दिया है। 2019 में पहली बार इटली इस प्रोजेक्ट से शामिल हुआ था। मार्च 2024 में यह प्रोजेक्ट एक्सपायर होने वाला था। इटली ने इस अवधि के तीन महीने पहले ही चीन को नोटिस दे दिया है। वहीं, इटली के वित्त मंत्री ने भी सितंबर में कहा था कि बीआरआई ने वो नतीजे नहीं दिए हैं जिनकी वो उम्मीद कर रहे थे।
चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई पर साल 2019 में हस्ताक्षर करने वाला इटली, एकमात्र प्रमुख पश्चिमी देश था। वहीं, चीन की इस परियोजना को लेकर अमेरिका का कहना है कि चीन इस प्रोजेक्ट के जरिए देशों को ‘कर्ज के जाल’ में फंसा रहा है और उनका इस्तेमाल अपने हितों के लिए कर रहा है।
इटली के इस फैसले को भारत के संदर्भ में देखें तो इटली का बीआरआई से अलग होना भारत के लिए एक सकारात्मक खबर है, क्योंकि भारत हमेशा से बीआरआई के विरोध में रहा है। इसका एक कारण पाकिस्तान का इस परियोजना में शामिल होना है। दरअसल, चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर यानी सीपीईसी बीआरआई का ही हिस्सा है। सीपीईसी के तहत कई निर्माण पीओके में भी हुए हैं। भारत ने हमेशा ही इसका विरोध किया है। क्योंकि यह देश की संप्रभुता का उल्लंघन है।
चीन की बीआरआई में भारत को छोड़ पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव समेत भारत के लगभग सभी पड़ोसी शामिल हैं। ऐसे में इटली का बीआरआई से अलग होना भारत के लिए एक सकारात्मक खबर है।
वहीं, इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर को चीन की बीआरआई के जवाब में देखा जा रहा है। इसी साल सितंबर महीने में नई दिल्ली में हुए जी-20 समिट में इस परियोजना की नींव रखी गई थी। इसमें भारत, इजराइल, सऊदी अरब, यूएई और जॉर्डन शामिल हैं।
बता दें कि बीआरआई चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। उसकी यह परियोजना प्राचीन सिल्क रूट का ही आधुनिक संस्करण है। ये कई देशों का कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट है। बीआरआई के तहत रेल, सड़क और समुद्री मार्ग से एशिया, यूरोप, अफ्रीका के 70 देशों को जोड़ने का प्लान है। चीन हिंद महासागर या कहें भारत करीबी देशों में बंदरगाह, नौसेना के अड्डे और निगरानी पोस्ट बनाना चाहता है। बीआरआई के जरिए चीन कई देशों को भारी-भरकम कर्ज दे रहा है। कर्ज न लौटा पाने पर वह उनके बंदरगाहों पर कब्जा कर लेता है।
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