कैश फॉर क्वेरी मामले में संसद में सवाल पूछने के मामले पर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। आरोपों की जांच कर रही एथिक्स कमिटी ने 8 दिसंबर को लोकसभा में 500 पेज की रिपोर्ट सौंपी और महुआ मोइत्रा पर कार्रवाई की सिफारिश की थी। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के बाद उनके निष्कासन का प्रस्ताव भी पेश हुआ। इसके बाद वोटिंग हुई। वोटिंग के बाद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई।
इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि अगर सदन की गरिमा बनाकर रखनी है तो कुछ सख्त फैसले लेने होंगे। चर्चा के दौरान स्पीकर ओम बिड़ला ने महुआ मोइत्रा को एथिक्स कमेटी की सिफारिश पर सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी। उन्होंने कहा था कि उन्हें पैनल मीटिंग में बोलने का मौका मिला था। बता दें कि इससे पहले वर्ष 2005 में घूस लेकर प्रश्न पूछने के आरोप में 11 सांसदों की सदस्यता खत्म की गई थी।
अब एक नजर डालते हैं कैश-फॉर-क्वेरी के पूरे मामले पर। 14 अक्टूबर को वकील जय अनंत देहाद्राई ने भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई में केस दर्ज कराया। जिसके बाद 15 अक्टूबर को बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया कि उन्होंने संसद में केंद्र सरकार के खिलाफ सवाल पूछने के लिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे और महंगे तोहफे लिए हैं। इतना ही नहीं, निशिकांत दुबे ने ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से महुआ मोइत्रा को संसद से सस्पेंड करने की भी मांग की थी। जिसके बाद 17 अक्टूबर को लोकसभा स्पीकर ने एथिक्स कमेटी को शिकायत सौंपी।
18 अक्टूबर को लोकसभा ने निशिकांत दुबे को नोटिस जारी कर 26 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा। 19 अक्टूबर को बिजनेसमैन दर्शन हिरानंदानी ने एफिडेविट में कहा कि महुआ ने उन्हें अपना पार्लियामेंट्री लॉगिन आईडी दिया था। जिसके बाद 21 अक्टूबर को निशिकांत दुबे ने दावा किया कि महुआ की संसदीय आईडी दुबई में खोली गई, जबकि वह खुद भारत में थीं। निशिकांत दुबे का आरोप था कि महुआ ने दर्शन हिरानंदानी से गिफ्ट्स लिए और उन्हें संसदीय लॉगिन-पासवर्ड दिए।
27 अक्टूबर को महुआ मोइत्रा ने एक टीवी इंटरव्यू में माना कि उन्होंने दर्शन हिरानंदानी से गिफ्ट्स लिए और उन्हें अपनी संसदीय आईडी दी। 28 अक्टूबर को कैश फॉर क्वेरी मामले में एथिक्स कमेटी महुआ मोइत्रा को 2 नवंबर को पेश होने का निर्देश दिया। जिसके बाद महुआ मोइत्रा एथिक्स कमेटी के सामने पेश हुईं। 9 नवंबर को एक बैठक में एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की। कमेटी के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया।
10 नवंबर को एथिक्स कमेटी ने लोकसभा अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट भेजी। कमेटी ने संसद से महुआ मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश भी की। जिसके बाद 8 दिसंबर को एथिक्स कमेटी के चेयरमैन विजय सोनकर ने लोकसभा में महुआ मोइत्रा पर 500 पेजों की रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट के आधार पर महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई।
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