दिल्ली हाईकोर्ट को फंड मुहैया न कराने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भी सवाल उठाए हैं कि आखिर सरकार फंड जारी क्यों नहीं कर रही है। कोर्ट ने सरकार को गुरुवार तक फंड देने के निर्देश दिए हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी बेंच में शामिल थे। कोर्ट ने कहा, ‘क्या हो रहा है? आपकी सरकार क्या कर रही है? आप दिल्ली हाईकोर्ट को कोई फंड नहीं देना चाहते? आपको गुरुवार तक रुपये देने होंगे…। यह एक मॉडल हाईकोर्ट है और इसकी हालत देखिए। जजों की ट्रेनिंग चल रही है और कोर्टरूम तक नहीं हैं।’ कोर्ट ने कहा, ‘हम इसे गुरुवार के लिए सूचीबद्ध कर रहे हैं।’
सीजेआई ने पाया कि मार्च 2021 में ही चार में से तीन परियोजनाओं को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन अब तक फंड जारी नहीं किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 5 दिसंबर तक की हाईकोर्ट की स्टेटस रिपोर्ट में 887 न्यायिक अधिकारियों, 15 फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट्स और 813 अधिकारियों की स्वीकृत संख्या के संकेत मिलते हैं। अब मंजूरी प्राप्त इस संख्या को 118 कोर्टरूम की जरूरत है। साथ ही 114 और कोर्टरूम्स की जरूरत है।
कोर्ट ने कहा कि फंड देने में देरी होना दुखद है। साथ ही कहा कि दिल्ली जिला न्यायपालिका के प्रति दिल्ली सरकार का ढुलमुल रवैया भी सही नहीं है। शीर्ष न्यायालय ने दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और राज्य सरकार को बैठक करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट का कहना है कि मीटिंग के जरिए जिला न्यायपालिका में कमी को दूर करने का तरीका निकाला जाए।
इससे पहले नवंबर में फंड की कमी की बात दिल्ली हाईकोर्ट भी उठा चुका है। तब एसीजे मनमोहन ने कहा था, ‘अगले साल तक 100 मजिस्ट्रेट तैयार हो जाएंगे और हमारे पास उन्हें लगाने के लिए जगह ही नहीं है। हमारे पार नई अदालतों के लिए जगह या फंड्स नहीं हैं। किसी भी जिला कोर्ट में एक इंच जगह नहीं है। दिल्ली सरकार न पैसा दे रही है और न ही जगह। हम बहुत कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे फंड जारी नहीं कर रहे।’
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