नई दिल्ली: भारत और बांग्लादेश में आज (शनिवार) विजय दिवस की धूम है. भारतीय जनता पार्टी ने इस मौके पर मां भारती के जांबाज सैनिकों को नमन किया है. बांग्लादेश में विजय दिवस की पूर्व संध्या पर राजधानी ढाका में संसद को रोशनी से सजाया गया. भारत में इस मौके पर नई दिल्ली स्थिति आर्मी हाउस में आयोजित एट होम कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल हुईं.
प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के एक्स हैंडल पर जारी सचित्र विवरण के अनुसार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू विजय दिवस की पूर्व संध्या पर आर्मी हाउस में ‘एट होम’ रिसेप्शन में शामिल हुईं. भाजपा ने एक्स हैंडल पर 52 साल पहले आज की तारीख की स्मृतियों को याद करते हुए कहा है कि 1971 के युद्ध में अपने अदम्य साहस, शौर्य और बलिदान से ऐतिहासिक विजय का गौरवशाली अध्याय लिखने वाले मां भारती के जांबाज सैनिकों को कोटि-कोटि नमन.
आर्मी हाउस के एट होम पर एडीजी पीआई-भारतीय सेना ने अपने एक्स हैंडल पर सचित्र विवरण साझा किया है. इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों की जीत के उपलक्ष्य और सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों की याद में आर्मी हाउस में विजय दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित स्वागत समारोह में शामिल हुईं.
एडीजी पीआई-भारतीय सेना के एक्स हैंडल की सूचना के अनुसार जनरल मनोज पांडे ने समारोह का आयोजन किया. इसमें उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति, दिग्गज, राजनयिक बिरादरी, खिलाड़ी, प्रतिष्ठित व्यक्तित्व और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से उपलब्धियां हासिल करने वाले लोग शामिल हुए.
बांग्लादेश के प्रमुख अखबार ढाका ट्रिब्यून के अनुसार राष्ट्र आज 53वां विजय दिवस मनाने के लिए तैयार है. इस दौरान 1971 के मुक्ति संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी. इसके लिए सारे देश में जगह-जगह समारोह आयोजित होंगे. सरकार के साथ-साथ, विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थानों और संगठन विजय दिवस का जश्न मनाएंगे.
उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर 1971 को पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा रहे बांग्लादेश का स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में जन्म हुआ था. पाकिस्तान की सेना पर भारत की जीत और बांग्लादेश के गठन की वजह से हर साल 16 दिसंबर को भारत और बांग्लादेश में इस तारीख को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.
बता दें कि बांग्लादेश के गठन में भारत की बेहद अहम भूमिका रही है. पाकिस्तान की सेना के बांग्लादेशी (उस समय पूर्वी पाकिस्तान) लोगों पर जुल्मो-सितम को लेकर भारत इस जंग में कूदने को मजबूर हुआ था. इस प्रतिरोध से पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव बढ़ा और आखिर में भारतीय सेना की कार्रवाई के आगे पाकिस्तान के हौसले पस्त हुए और 16 दिसंबर 1971 को ही इतिहास के सबसे बड़े आत्मसमर्पण के रूप में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारत के आगे घुटने टेके.
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