प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दुनिया के सबसे बड़े मेडिटेशन सेंटर स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन किया. इस स्वर्वेद महामंदिर को दुनिया के सबसे बड़े योग और मेडिटेशन सेंटर के तौर पर देखा जा रहा है. इसके प्रेरणा स्त्रोत महा योगी और आध्यात्मिक गुरु श्री सदाफल महाराज हैं जिन्होंने स्वर्वेद ग्रंथ की रचना की थी. जिसके आधार पर इस मंदिर का नाम रखा गया है. दुनिया के इस अद्भुद और अनोखे मंदिर के निर्माण में लगभग 1000 करोड़ रुपये की लागत का खर्च आया है. आइए जानते हैं इस मंदिर की विशेषताओं के बारे में जिनकी वजह से यह बेहद खास माना जा रहा है.
स्वर्वेद दो शब्दों से मिलकर बना है स्वः और वेद. स्वः का अर्थ है अंतरमन की आत्मा जो परमात्मा का स्वरूप है और वेद का मतलब ब्रह्म ज्ञान. मतलब जिसके द्वारा आत्मा और परमात्मा का ज्ञान प्राप्त किया जा सके उसे स्वर्वेद कहा जाता है.
स्वर्वेद मंदिर तकरीबन 3,00,000 वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है. ध्यान साधना के लिए इस मंदिर में तकरीबन 20,000 लोगों के बैठने की जगह है. इसी के साथ इस मंदिर की शोभा को 125 पंखुड़ियों वाले कमल के शिखर ने भव्य आकृति दी है जो इसे मनमोहक बनाता है. इस मंदिर को बनाने में लगभग 600 श्रमिकों और 15 इंजीनियरों का योगदान रहा है.
इस मंदिर के प्रांगण में तकरीबन 101 फव्वारों के साथ ही साथ सागौन की लकड़ी से बनी मंदिर की छत पर सुंदर कालाकृतियां उकेरी गई हैं जो इसे और मनोरम बनाती है. लोगों की आकर्षण का केंद्र बने इस मंदिर में 7 मंजिलें हैं और यह लगभग 180 फीट ऊंचा है. मंदिर में मकराना मार्बल का प्रयोग किया गया है. जिस पर तकरीबन 3137 स्वर्वेद ग्रंथ के दोहे लिखे हुए हैं.
इसी के साथ बताया जा रह है कि इस मंदिर की बाहरी दीवार पर लगभग 138 महाभारत, रामायण, वेद उपनिषद, गीता, आदिके दृश्य चित्रों के माध्यम से बनाए गए हैं. स्वर्वेद मंदिर के अंदर जड़ी-बूटीयों और औषधीयों से रहित एक बगीचा भी बनाया गया है. जिसका उद्देश्य है स्वस्थ्य जीवन को प्रेरित करना. इस मंदिर की दीवारों पर गुलबी बलुआ पत्थर लगें है जो स्वर्वेद मंदिर की शोभा को और भव्य बनाता है.
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