हर साल मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती के रुप में मनाया जाता है. इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं. मान्यता है कि आज के दिन उपवास करने, पूजा-पाठ करने से मोक्ष मिलता है. मान्यताओं के अनुसार आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध से पूर्व कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान देकर पूरे संसार के सामने कर्म का महत्त्व स्थापित किया गया था. मतलब आज ही के दिन ‘गीता’ ग्रंथ का प्रादुर्भाव कुरुक्षेत्र में हुआ था.
गीता को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र ग्रंथ के रुप में देखा जाता है. कहा जाता है कि मानव जीवन में सभी प्रकार की चिंताओं और दुख का साधन गीता में मिलता है. हिंदू धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ गीता के जन्मदिवस को ‘गीता जयंती’ के रूप में मनाया जाता है. इसका प्रभाव और प्रसिद्धी केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है. भारत और विश्व के तमाम विद्वान और मनीषियों ने गीता के अलग-अलग रूपों को अपने जीवन में उतारा है.
आज पूरे देश में गीता जयंती मनाई जा रही है. हर साल देश के अलग अलग हिस्सों में बड़े हर्ष के साथ मनाया जाता है. तो वहीं महाभारत के युद्ध मैदान जिसे कुरुक्षेत्र कहा जाता है वहां भी इसका भव्य आयोजन होता है.
ऐसे में केन्द्रीय मंत्री शाह शुक्रवार को कुरूक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित किया. शाह ने कहा कि कुरूक्षेत्र की पावन धरती पर पांच हजार साल पहले भगवान कृष्ण ने धर्म की स्थापना के लिए गीता का उपदेश देकर समूची मानवता को नई राह दिखाई थी. अगर हम गीता का ज्ञान फैलाने में सफल रहें तो कभी युद्ध नहीं हो सकता.
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