अंग्रेजों के दौर में बने तीन कानून आखिर कार खत्म हुए. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने तीनों नए क्रिमिनल लॉ बिल को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही इन तीनों बिल- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल अब कानून बन गया है.
इससे पहले इन तीनों बिलों को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में पारित कर दिया गया था. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही अब ये तीनों बिल कानून में तब्दील हो गए हैं. अब 1860 में बनी आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी सीआरपीसी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य संहिता के नाम से जाना जाएगा.
बता दें कि आईपीसी में 511 धाराएं थीं लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होंगी. इसके तहत 21 नए अपराध जोड़े गए हैं. 41 अपराधों में कारावास की अवधि को बढ़ाया गया है. 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ा है. 25 अपराधों में जरूरी न्यूनतम सजा शुरू की गई तो वहीं 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड रहेगा. जबकि 19 धाराओं को खत्म कर दिया गया है.
बात करें सीआरपीसी की तो सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं लेकिन अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी. इसके तहत 177 धाराओं को बदल दिया गया है. 9 नई धाराएं जोड़ी गईं हैं जबकि 14 को खत्म कर दिया गया है.
इंडियन एविडेंस एक्ट में पहले 167 धाराएं थीं अब भारतीय साक्ष्य संहिता में 170 धाराएं होंगी. इसमें 24 घाराओं में बदलाव किया गया है. दो नई धाराएं जुड़ीं हैं. जबकि 6 धाराएं खत्म हो गईं हैं.
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