नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) बेंगलुरु की विशेष अदालत ने अल-कायदा के दो कट्टरपंथी सदस्यों को दोषी ठहराते हुए 7 साल कैद की सजा सुनाई है. मामले में एनआईए अदालत ने असम के अख्तर हुसैन लस्कर उर्फ मोहम्मद हुसैन और पश्चिम बंगाल के अब्दुल अलीम मंडल उर्फ मोहम्मद जुबा पर क्रमशः 41,000 रुपये और 51,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इन पर भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा की गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था.
एनआईए की जांच से यह भी पता चला है कि इन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा की साजिश के तहत खुरासान में प्रशिक्षण लेने के बाद भारत में एक विशेष समुदाय के सदस्यों के खिलाफ जिहाद करने की योजना बनाई थी. अफगानिस्तान के अलावा अन्य युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा में भर्ती करने की प्रक्रिया में भी थे.
एनआईए ने 30 अगस्त, 2022 को आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 120बी, 121, 121ए, 114 और 511 और यूए (पी) अधिनियम, 1967 की धारा 10, 13, 15, 16, 18 और 20 के तहत मामला दर्ज किया था. एनआईए के अनुसार दोनों को विदेशी-आधारित ऑनलाइन हैंडलर्स द्वारा कट्टरपंथी बनाकर भर्ती किया गया था। भर्ती के बाद ये लोग विभिन्न टेलीग्राम समूहों में शामिल हो गए थे.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार
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