इंडोनेशिया में म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों का जमकर विरोध हो रहा है. इंडोनेशिया यूनिवर्सिटी के छात्रों की भीड़ ने पश्चिमी शहर बांदा आचे में रोहिंग्याओं के एक अस्थाई आश्रय पर धावा बोल दिया. उन्होंने इन शरणार्थियों को बाहर निकालने की मांग की.
दरअसल इंडोनेशिया के एक सरकारी हॉल में लगभग 137 शरणार्थी रह रहे थे. वहीं बुधवार को अलग-अलग रंग की जैकेट पहने हुए यूनिवर्सिटी के छात्रों ने इस हाल में घुस कर शरणार्थियों को बाहर निकाला और जबरन उन्हें ट्रकों में लाद कर शरणार्थियों को बाहर निकालने के नारे लगाए. छात्रों ने मांग की कि शरणार्थियों को स्थानीय आव्रजन (इमीग्रेशन) ऑफिस ले जाया जाए और फिर उन्हें देश से बाहर निकाला जाए.
एस मामले में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHRC) ने एक बयान में कहा कि वह आश्रय वाली जगह पर भीड़ के हमलों को लेकर चिंतित हैं. एजेंसी ने बेहतर सुरक्षा का आह्वान किया. UNHRC ने कहा कि यह घटना ऑनलाइन गलत जानकारी और हेट स्पीच के बाद हुई है. लेकिन आखिर रोहिंग्या इंडोनेशिया में कहां से आ गए?
UNHRC के आंकड़े के अनुसार नवंबर से अब तक 1,500 से ज्यादा रोहिंग्या इंडोनेशिया में आ चुके हैं, जो वर्षों में सबसे बड़ी संख्या मानी जा रही है. उनकी बढ़ती संख्या से स्थानी लोग निराश हैं. वहीं रोहिंग्या की वृद्धि के लिए इंडोनेशिया के वर्तमान राष्ट्रपति जोको विडोडो ने मानव तस्करी को जिम्मेदार बताया.
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