माले: भारत और मालदीव के बीच राजनयिक विवाद की शुरू हो गया है. भारत की तरफ से लिए गए राजनयिक एक्शन के कुछ ही घंटों के भीतर ही मालदीव में रिएक्शन देखने को मिला. भारतीय उच्चायुक्त को मालदीव के विदेश मंत्रालय ने समन भेजा है.
मालदीव में मौजूद भारतीय उच्चायोग ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उच्चायुक्त को मिले समन की जानकारी दी. भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, ‘मालदीव में भारत के उच्चायुक्त मुनु महावर ने आज मालदीव के विदेश मंत्रालय के राजदूत डॉ अली नसीर मोहम्मद के साथ एक पूर्व-निर्धारित बैठक की. इस बैठक में दोनों राजनयिकों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की.’
बता दें कि भारतीय उच्चायुक्त को ऐसे समय पर समन भेजा गया, जब सोमवार (8 जनवरी) को भारत में मालदीव के राजदूत इब्राहिम साहिब को समन किया गया. राजदूत इब्राहिम से मालदीव के कई मंत्रियों के जरिए भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई टिप्पणियों पर कड़ी चिंता व्यक्त की गई. वहीं, मालदीव सरकार ने पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर रविवार को ही तीन डिप्टी मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया.
दरअसल, मामला यह है कि जनवरी के पहले हफ्ते में प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप की यात्रा की और वहां की कुछ तस्वीरों को शेयर किया. इसके बाद सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी कि भारत मालदीव के विकल्प के तौर पर लक्षद्वीप को तैयार कर रहा है. इसे लेकर मालदीव के कुछ नेताओं रोश फैल गया जिसके बाद उन्होंनें भारत और पीएम मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करना शुरू कर दिया. विवदित टिप्पणी करने वालों में मालदीव के डिप्टी मंत्री भी शामिल रहे.
आपको बता दें, भारत और मालदीव के बीच रिश्ते काफी पुराने हैं. मालदीव को जब भी संकट का सामना करना पड़ा है, तब-तब भारत उसकी मदद के लिए आगे आया है. कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत ने अन्य देशों के साथ-साथ वैक्सीन की खेप मालदीव को भी पहुंचाई थी. इसके अलावा 2014 में जब मालदीव में पानी का संकट खड़ा हो गया था, तब भारत ने अपने जहाजों में पानी भरकर मालदीव के लोगों की प्यास बुझाई थी.
हालांकि, हाल के सालों में मालदीव में भारत विरोधी अभियान की शुरुआत हो गई है. तो वहीं मालदीव में हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले मोहम्मद मोइज्जु के आगमन के साथ दोनों देशों के रिश्ते और भी ज्यादा बिगड़ गए हैं. इस वजह ये है कि राष्ट्रपति मोइज्जु को चीन समर्थक माना जाता है और ऐसा उनके शपथ लेते ही साबित भी हो गया. मोहम्मद मोइज्जू ने राष्ट्रपति बनते ही मालदीव की सुरक्षा के लिए तैनात भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़कर जाने को कहा. उन्होंने अपने चुनाव अभियान के दौरान भी ‘इंडिया आउट’ मुहिम चलाई थी. उनकी सरकार हमेशा से ही भारत के खिलाफ रही है.
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