रामलला के वर्तमान आसन से विग्रह कर के प्राण प्रतिष्ठा करने से पहले विधिवत पूजा अर्चना करने की तैयारी हो रही है. उनके विग्रह की जीवन कारक द्रव्यों के अलावा शैय्या अधिवास की विशेष योजना है. शैय्या अधिवास का कार्यक्रम 21 जनवरी को रात्रि में होगा.
इसके तहत रामलला को शीशम के नवनिर्मित पलंग पर आराम कराया जाएगा. ट्रस्ट ने इस पलंग को अयोध्या में ही निर्मित कराया है. इसके अलावा भगवान के लिए गद्दा, रजाई, चादर व तकिया की भी व्यवस्था की गई है. वस्त्र भी तैयार हैं. इसी अधिवास के दौरान कुश से भगवान के हृदय को स्पर्श कर न्यास वाचन कर संबंधित पूजन प्रक्रिया संपन्न होगी. सुबह उन्हें विधिवत जागरण कराने के बाद सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया जाएगा.
ये कार्यक्रम 22 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में होगा. वाराणसी से आए वैदिक आचार्यों के अनुसार सिंहासन (आसन) पर पहले कूर्म शिला व स्वर्ण से निर्मित कच्छप, ब्रहा शिला का भी अधिवास होता है. इसलिए अस कार्यक्रम को प्रतिष्ठा से पहले कराया जाएगा. तो वहीं तीन पिंडिका भी रखी जाएंगी. आचार्यों के कहे अनुसार भगवान के आसन के ठीक नीचे श्रीराम यंत्र की प्रतिष्ठा की जाएगी. इसके अलावा आसन के नीचे कुल 45 द्रव्य रखे जाएंगे. इसमें नौ रत्नों भी शामिल हैं जिसमें हीरा, पन्ना, मोती माणिक्य, पुखराज व लहसुनिया, गोमेद के अलावा पारा, सप्त धान्य व विविधि औषधियां रखी जाएंगी. इसके बाद भगवान को आसन पर प्रतिष्ठित किया जाएगा. गोघृत व शहद मिश्रण से युक्त स्वर्ण शलाका से भगवान के नेत्र उन्मीलित किए जाएंगे. भगवान को दर्पण दिखाया जाएगा. रामलला के आसन की भी पूजा होगी.
आपको बता दें, विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता और धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी ने बताया कि आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़, प्रमुख आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित, अरुण दीक्षित, सुनील दीक्षित, दत्तात्रेय नारायण रटाटे, गजानन जोतकर, अनुपम दीक्षित समेत इसमें 11 यजमान प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान संपन्न कराएंगे. विश्व हिंदू परिषद ने बताया कि भगवान राम की प्रतिमा सिर्फ परिसर भ्रमण ही करेगी.
दूसरी ओर विहिप ने सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा पूजन का क्रम भी स्पष्ट कर दिया है. इस तहत जिस स्थल पर प्रतिमा का निर्माण हुआ है, वहीं से कर्मकुटी अनुष्ठान से पूजन आरंभ होगा. प्रतिमा का निर्माण करने वाले शिल्पी प्रायश्चित पूजन करेंगे.
16 जनवरी से 22 तक कार्यक्रम किस प्रकार चलने वाला है यहां नीचे देखिए-
16 जनवरी से पूजन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी
17 जनवरी को श्रीविग्रह का परिसर भ्रमण कराया जाएगा तथा गर्भगृह का शुद्धिकरण होगा.
18 जनवरी से अधिवास प्रारंभ होगा. दोनों समय जलाधिवास, सुगंध और गंधाधिवास भी होगा.
19 जनवरी को प्रातः फल अधिवास और धान्य अधिवास होगा.
20 जनवरी को सुबह पुष्प और रत्न व शाम को घृत अधिवास होगा.
21 जनवरी को प्रात: शर्करा, मिष्ठान और मधु अधिवास व औषधि और शैय्या अधिवास होगा.
22 जनवरी को मध्य दिवस में रामलला के विग्रह की आंखों से पट्टी हटायी जाएगी और उन्हें दर्पण दिखाया जाएगा.
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