पीएम मोदी के दौरे से लक्षद्वीप इन दिनों खूब चर्चा में है. लक्षद्वीप एक ऐसा द्वीप है जो न सिर्फ अपनी खुबसूरती के लिए जाना जाता है बल्कि इस बात के लिए भी जाना जाता है कि यहां की 97 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है. जनसंख्या गणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार यहां अभी मुस्लिमों की तादात 97 प्रतिशत हैं लेकिन अगर आप इतिहास के पन्ने पलटेंगे तो पाएंगे कि यह द्वीप बौद्ध और हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र था. तो चलिए इसके इतिहास पर एक नजर डालते हैं.
इस द्वीप को राजा चेरामन पेरुमल ने बसाया था. लक्षद्वीप की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार राजा चेरामन पेरुमल अरब के कुछ व्यापारियों के इशारे पर इस्लाम का धर्मांतरण करने के बाद राजधानी क्रैगानोर से निकल आएं. फिर उनकी खोज शुरू हुई. राजा चेरामन पेरुमल ने 825 ईश्वी में इस्लाम को अपना लिया और फिर वो गायब हो गएं. जिसके बाद उनकी खोज करने के लिए मक्का के किनारे तक पहुंचने के लिए ढेरों नौकाएं रवाना हुई. माना जाता है कि उनकी खोज के बाद लौटे दल ने अमीनी द्वीप खोजा और वहीं रहने लगे. उनकी खोज में जो लोग वहां गए थे वो हिन्दू थे. फिर यहां धीरे-धीरे आबादी बढ़ी और अमीनी, कवरत्ती, एंड्रोट और कल्पनी द्वीपों की शुरुआत हुई. यहां पर धीरे-धीरे लोग बसने लगे और यहां कि आबादी बढ़ गई.
लक्षद्वीप में इस्लाम पहुंचने की कहानी शेख उबैदुल्लाह से जुड़ी है. जिन्हें संत उबैदुल्लाह भी कहा जाता है. उनका कनेक्शन 7वीं शताब्दी से है. माना जाता है कि शेख उबैदुल्लाह अरब में रहते थे और मक्का-मदीना में नमाज पढ़ते थे. मक्का में इबादत करते वक्त उन्हें नींद आ गई और सपने में पैगंबर मुहम्मद को देखा. पैगंबर ने उन्हें आदेश दिया कि जेद्दाह जाओ वहां से जहाज लेकर इस्लाम को फैलाने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों में जाओ. सपने का पालन करने के लिए वह समुद्र के रास्ते निकल पड़े.
कई महीनों तक समुद्र में यात्रा करने के बाद एक दिन तूफान आया और उनका जहाज संघर्ष करते हुए अमीनी द्वीप आ पहुंचा. उन्हें वहां फिर नींद आई और सपने में आए पैगंबर साहब ने वहां पर इस्लाम का प्रचार और प्रसार करने की बात कही. उन्होंने उसी आदेश का पालन करना शुरू किया और जब उनकी मंशा वहां के मुखिया को पता चली तो उन्होंने उबैदुल्लाह को वहां से निकाल दिया. फिर वो एक सुंदर युवती के प्यार में पड़ गए और उनका धर्मांतरण कराकर नाम हमीदत बीबी रखा. बाद में निकाह भी किया. हालांकि हालात सामान्य नहीं थे और विरोध के बाद उन्होंने द्वीप को छोड़ दिया जिसके बाद वह दूसरे कई द्वीप पर पहुंचे और लोगों का धर्मांतरण करने का प्रयास करने लगें. धीरे-धीरे लक्षद्वीप के कई अलग-अलग द्वीपों पर जाकर इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया. उन्होंनें अपना अंतिम समय एंड्रोट में बिताया और उबैदुल्लाह को वहीं दफनाया गया. आज के समय में वहीं उबैदुल्लाह का मकबरा है, जिसे देखने के लिए श्रीलंका से लेकर म्यांमार और मलेशिया से लोग पहुंचते हैं.
लक्षद्वीप आज भारतीयों का पसंदीदा पर्यटन स्थल बन गया है. इस सुंदर द्वीप को देखने के लिए सिर्फ भारतीय ही नहीं, पड़ोसी देशों के पर्यटक भी यहां पहुंचते हैं. पीएम मोदी की यात्रा के बाद फिर यह चर्चा में आ गया.
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