चेन्नई: स्मार्टफोन, कम्प्यूटर, स्मार्टवॉच की रफ्तार आने वाले दिनों में कहीं ज्यादा तेज हो जाएगी. दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक आइटम में इस्तेमाल होने वाले सिलिकॉन चिप पर निर्भर रहने वाली इलेक्ट्रॉनिक्स नयी क्रांति की दहलीज पर खड़ी है. इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम में इस्तेमाल होने वाले सिलिकॉन चिप, ग्राफीन चिप में बदले जा सकेंगे जिससे इसकी रफ्तार काफी तेज हो जाएगी और सिलिकॉन पर निर्भरता कम होगी.
जानी-मानी वैज्ञानिक अनुसंधान पत्रिका “नेचर” में 3 जनवरी को प्रकाशित एक लेख ने कंप्यूटर साइंस को आधुनिक युग में ले जाने की यह खोज प्रकाशित की गई है. यह खबर इलेक्ट्रॉनिक जगत के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है . जॉर्जिया इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर वॉल्टर डे हीर की अगुवाई में यह ग्राफीन सेमी कंडक्टर बनाया गया है. इसे बनाने वाले रिसर्चर्स अटलांटा, जॉर्जिया और टीआनजिन, चीन के हैं.
विशेषज्ञों का दावा है कि ग्राफीन से बना चिप, सिलिकॉन से बने चिप के मुकाबले 10 गुना तेज और टिकाऊ है. गर्मी सहने की भी अपार क्षमता है. इन वैज्ञानिकों ने ग्राफीन को दुनिया का पहला सेमी कंडक्टर चिप के रूप में प्रस्तुत कर दिया है जो प्रकाश की किरणों जैसी तेज गति से कंप्यूटर और क्वांटम कंप्यूटरों को शक्ति देने में सक्षम है. ग्राफीन के प्रयोग से इलेक्ट्रॉन गतिशीलता में होने वाली प्रतिरोध तकरीबन नहीं के बराबर है. ग्राफीन चिप में बिजली की खपत भी बहुत कम है.
खोज दल का क्या है कहना?
प्रोफेसर वॉल्टर डे हीर के अनुसार वैज्ञानिकों की टीम पिछले 10 साल से ग्राफीन पर रिसर्च कर रही थी. हममें से कइयों को लगता था कि ग्रेफीन इलेक्ट्रॉनिक्स कभी काम नहीं करेगा, क्योंकि इसमें बैंड गैप है. इसमें ऐसा गुण है, जो सेमी कंडक्टर को स्वीच ऑन और ऑफ करने में मदद करता है. ग्राफीन में अब तक कोई बैंड गैप नहीं पाया गया है. वॉल्टर के अनुसार , “नेचुरल फॉर्म में ग्राफीन न तो एक सेमी कंडक्टर है और न ही मेटल है, लेकिन एक सेमी मेटल है. किसी भी मैटीरियल पर जब इलेक्ट्रिक फील्ड अप्लाई की जाती है तो एक बैंड गैप बनता है, जिससे वह स्विच ऑन और स्विच ऑफ होता है. इसके लिए हमने डोपिंग तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसकी वजह से ग्राफीन अपना इलेक्ट्रॉन डोनेट कर सकता है और चिप सही तरीके से काम करता है.”
ग्राफीन क्या है?
ग्राफीन एक साधारण पदार्थ है जो कार्बन परमाणुओं की केवल एक परत से बना होता है. कहें तो मानव बाल की तुलना में यह लाखों गुना पतला होता है. लेकिन, यह प्रकृति की लगभग किसी भी चीज़ से अधिक मजबूत और बहुत सख्त होता है. वैज्ञानिक मान रहे हैं कि ग्राफीन स्टील से भी अधिक ताकतवर होता है. इसे इच्छानुसार बिजली के संचालन या इन्सुलेशन के लिए प्रयोग किया जा सकता है जो कंप्यूटर को शक्ति देने वाले लॉजिक चिप्स बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है. ग्रैफीन की खोज 2004 में की गई और तभी से इस पर अनुसंधान चल रहा है. इस इनोवेशन से एडवांस कंप्यूटर की गति से लेकर छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बढ़ती मांग को पूरी गुणवत्ता के साथ बाजार में स्थान प्राप्त करना आसान हो जाएगा.
चीन के तियानजिन विश्वविद्यालय और जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के नैनो वैज्ञानिकों के अनुसार इस शोध की शुरुआत में संभावित अर्धचालक के रूप में कार्बन-आधारित सामग्रियों का पता लगाना शुरू किया और फिर 2001 में जादुई ग्राफीन की खोज पर ध्यान केंद्रित किया. तब उन्हें पता था कि ग्राफीन में इलेक्ट्रॉनिक्स उपयोगिता की अपार क्षमता है. यह बहुत बड़ी धाराओं को संभाल सकती है और बिना गर्म हुए या टूटे हुए काम करती रहेगी. सिलिकॉन की तुलना में ग्राफीन उतना गर्म नहीं होता है और यह इलेक्ट्रॉन के संरक्षण की उच्च गति देता है ताकि इलेक्ट्रॉन तेजी से आगे बढ़ सकें. सबसे बड़ी बात इसमें यह है कि नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग किए जाने वाले सभी आवश्यक गुण हैं. आज इसी गुण के कारण दुनिया भर के वैज्ञानिक सेमी-कंडक्टर चिप्स को तेजी से बढ़ते हुए ग्लोबल इकोनामी की धुरी मान रहे हैं और साइंस-टेक्नोलॉजी युग का ‘फ्यूल’ कहा जा रहा है.
यह खोज महत्वपूर्ण इसलिए है कि यह टेक्नोलॉजी ऐसे समय आई है, जब इलेक्ट्रॉनिक में प्रयुक्त सिलिकॉन दुनिया भर के लिए एक बहुत बड़ी जरूरत बन गई और उसका कोई विकल्प नहीं था. अबतक शत -प्रतिशत आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स सिलिकॉन पर निर्भर थे और तेजी से बढ़ती हुई कंप्यूटिंग और छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की दुनिया में सिलिकॉन की खपत अपनी सीमा तक पहुंच रहा था.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार
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