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राम लला प्राण प्रतिष्ठा : सच निकली प्रसिद्ध संत देवरहा बाबा की भविष्यवाणी

कोई पूछता तो देवरहा बाबा के मुख से यही वाक्य निकलता था कि 'भगवान राम का भव्य मंदिर बनेगा। इसमें कोई दुविधा नहीं है।' उनकी भविष्यवाणी से जनमानस में उम्मीद बनी हुई थी। वह राम भक्तों से यह भी कहते थे कि राम मंदिर वहीं बनेगा, जहां बनना चाहिए। उनकी यह भविष्यवाणी साकार हो रही है।

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Jan 9, 2024, 02:01 pm IST
Devraha Baba

Devraha Baba

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अयोध्या: कोई पूछता तो देवरहा बाबा के मुख से यही वाक्य निकलता था कि ‘भगवान राम का भव्य मंदिर बनेगा। इसमें कोई दुविधा नहीं है।’ उनकी भविष्यवाणी से जनमानस में उम्मीद बनी हुई थी। वह राम भक्तों से यह भी कहते थे कि राम मंदिर वहीं बनेगा, जहां बनना चाहिए। उनकी यह भविष्यवाणी साकार हो रही है।

देवरहा बाबा थे अलौकिक पुरुष

देवरहा बाबा अलौकिक पुरुष थे। महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग में पारंगत थे। उनकी उम्र का ठीक-ठीक अनुमान किसी को नहीं हैं। हां, जनमानस में यह धारणा जरूर थी कि वह 250 से भी अधिक वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। बाबा कभी धरती पर नहीं रहते थे। हमेशा सरयू या गंगा नदी के तट पर 12 फुट ऊंचे मचान पर निवास करते थे।

उन्होंने हिमालय में साधना की थी और बारहों महीने निर्वस्त्र रहते थे। बाबा का आशीर्वाद बड़ा प्रभावी होता था। दूर-दूर से लोग बाबा से आशीर्वाद लेने आते थे। उनके भक्तों में राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, अशोक सिंघल जैसे सरीखे लोग शामिल थे।

वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र बताते हैं कि इंदिरा गांधी के सामने जब कोई समस्या आती थी तो समाधान के लिए वह बाबा के पास जाती थीं। 1989 के आम चुनाव से पहले राजीव गांधी भी बाबा से मिलने वृंदावन गए थे। तब विश्व हिंदू परिषद और सरकार के बीच शिलान्यास स्थल को लेकर गहरा विवाद चल रहा था। उसका रास्ता बाबा ने ही निकाला था।

विश्व हिंदू परिषद की ओर से राममंदिर के शिलान्यास की तारीख 9 नवम्बर, 1989 निर्धारित थी। उससे ठीक तीन दिन पहले यानी छह नवम्बर को प्रधानमंत्री राजीव गांधी बाबा से मिलने वृंदावन पहुंचे थे। वहीं देवरहा बाबा ने राजीव गांधी से कहा था, ‘बच्चा हो जाने दो।’

उस बातचीत में बाबा ने राजीव गांधी से जो कहा, वह इस तरह है- ‘मंदिर बनना चाहिए। आप शिलान्यास करवाएं लेकिन, शिलान्यास की जगह बदली न जाए।’ इसके दूसरे ही दिन बाबा ने विहिप के नेता अशोक सिंघल और श्रीशचंद्र दीक्षित को बुलाया और आश्वस्त किया कि शिलान्यास की जगह बदली नहीं जाएगी। पूरी भेंट के दौरान बाबा से जो बातचीत हुई थी, उसे अशोक सिंघल ने अपने सहयोगियों से बताया।

उन्होंने कहा ‘देवरहा बाबा ने साफ-साफ कहा कि हमें शिलान्यास तय जगह पर ही करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राजीव गांधी भी वहीं शिलान्यास को राजी हैं। ऐसा उन्होंने मुझे भरोसा दिया है।’ स्मरण होगा कि कांग्रेस पार्टी और सरकार के भीतर शिलान्यास स्थल को लेकर काफी आंतरिक विरोध था। इन सबके बावजूद बाबा के आदेश पर राजीव गांधी ने शिलान्यास करवाया था। इस प्रक्रिया में राजीव गांधी के दूत के तौर पर लोकसभा अध्यक्ष रहे बलराम जाखड़ लगातार बाबा के संपर्क में थे।

प्रयाग कुम्भ में राममंदिर शिलान्यास की हुई थी घोषणा

वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय बताते हैं कि देवरहा बाबा भगवान राम के अनन्य भक्त थे। 1989 के प्रयाग कुंभ के दौरान विहिप ने तीसरी धर्म संसद बुलाई तो उस धर्म संसद को देवरहा बाबा का आशीर्वाद प्राप्त था। उस धर्मसंसद की अध्यक्षता परमहंस रामचंद्रदास कर रहे थे। वहीं यह घोषणा हुई थी कि 9 नवम्बर, 1989 को अयोध्या में राममंदिर का शिलान्यास होगा।

9 नवम्बर को देवोत्थानी एकादशी थी। ऐसी मान्यता है कि चार महीने की नींद के बाद देवतागण इस तिथि को उठते हैं। अशोक सिंघल के हवाले से पत्रकार हेमंत शर्मा ने अपनी पुस्तक युद्ध में अयोध्या में लिखा है-‘देवरहा बाबा एक धार्मिक महापुरुष हैं, जो हमारे हर कदम पर मार्गदर्शन करते रहे हैं।’ उन्होंने यह भी लिखा है कि बाबा ने राजीव गांधी से भेंट के दौरान यह भी कहा था कि उन्हें मंदिर निर्माण की विश्व हिन्दू परिषद की मांग का समर्थन करना चाहिए।

देवरहा बाबा राम मंदिर आंदोलन के थे मार्गदर्शक

विहिप के सर्वाधिक महत्वपूर्ण लोगों में शामिल रहे चंपत राय बताते हैं कि 1989 के प्रयागराज कुंभ में ही उन्हें देवरहा बाबा के दर्शन का अवसर मिला था। वह विहिप की ओर से किया गया साधु-संतों का तीसरा समागम था। वहां बाबा आए थे। उनके लिए एक मचान बनाई गई थी। वहीं बाबा ने नागर शैली में बनने वाले प्रस्तावित राम मंदिर के प्रारूप को अपना आशीर्वाद दिया था। यह कहना गलत नहीं होगा कि देवरहा बाबा राम मंदिर आंदोलन के मार्गदर्शक थे।

अशोक सिंघल से कहा ‘आंधी चलाए जा, सब ठीक हो जाएगा

विहिप नेता अशोक सिंघल और श्रीशचंद्र दीक्षित उनसे समय-समय पर मिलते और उनका मार्गदर्शन प्राप्त करते रहते थे। एक बार उन्होंने अपनी ठेठ भाषा में अशोक सिंघल से कहा- ‘आंधी चलाए जा… आंधी चलाए जा… आंधी चलाए जा…। सब ठीक हो जाएगा।’

शिलाओं को स्पर्श कर राम मंदिर के लिए दिया था आशीर्वाद

जब राममंदिर आंदोलन के लिए देशव्यापी आंदोलन चलाने की योजना बनी तो सबसे पहले अशोक सिंघल और श्रीशचंद्र दीक्षित राम शिला अपने सिर पर रखकर बाबा से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। बाबा मचान से बाहर आए और पांव को नीचे कर उन दोनों के सिर पर रखी शिलाओं को स्पर्श कर आशीर्वाद दिया था। देवरहा बाबा के पास राम मंदिर आंदोलन के पल-पल की खबर होती थी। विहिप के नेता हों या सरकार के प्रतिनिधि सभी बाबा के पास आते रहते थे।

मंदिर-मस्जिद विवाद पर बोले ‘वहां मस्जिद नहीं, मंदिर है’

1989 के प्रयागराज कुंभ के दौरान एक श्रद्धालु ने उनसे जिज्ञासा व्यक्त की कि मंदिर-मस्जिद का समाधान कब होगा ? इस पर बाबा ने कहा था- ‘वहां मस्जिद नहीं, वरन् मंदिर है।’ मथुरा के पुराने अधिकारी बताते हैं कि एक बार अशोक सिंघल के साथ स्वयं रज्जू भैया भी देवरहा बाबा से मिलने वृंदावन आए थे। तब वे स्वयं उनकी सुरक्षा में थे। इस आंदोलन से जुड़े लोग मानते हैं कि देवरहा बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होने की वजह से आंदोलन को सही दिशा में गति मिलती गई। और निश्चित सकारात्मक परिणाम की तरफ आंदोलन बढ़ता गया।

वह कहते थे ‘भगवान राम का भव्य मंदिर बनेगा, उसमें कोई दुविधा नहीं’

देवरहा बाबा से मिलने आने वाले राम भक्तों से वे हमेशा कहते थे कि भगवान राम का भव्य मंदिर बनेगा। इसमें कोई दुविधा नहीं है। यहां तक कि आंदोलन की तारीख निश्चित करने में भी विहिप के नेता बाबा से परामर्श लेते थे।

भविष्यवाणी की थी कि मस्जिद का ढांचा नहीं बचेगा

एक बार कुछेक सरकारी अधिकारी फाइलों का गट्ठर लेकर देवरहा बाबा के पास आए थे। उन फाइलों को देखकर बाबा ने भविष्यवाणी की थी-‘यह मात्र कागज का पोथा है। वह मस्जिद नहीं है। जो ढांचा है, एक दिन वह भी नहीं बचेगा। लोग उसकी एक-एक ईंट उठाकर ले जाएंगे। वहां कुछ भी नहीं बचने वाला है। ‘आखिरकर वही हुआ। देवरहा बाबा की भविष्यवाणी सच साबित हुई। बाबा ने 1990 में अपने शरीर का त्याग कर दिया था। लेकिन, दो वर्ष बाद ही विवादित ढांचा गिरा दिया गया था।

साभार- हिन्दुस्थान समाचार

Tags: Ram Lalaram mandirRam Mandir MovementShri Ram JanmabhoomiDevraha Baba
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