कांग्रेस राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होगी. इसे लेकर पार्टी के अंदर घमासान मचा है. पार्टी के कअंदर फूट साफ नजर आई है. इस फैसले का कई नेताओं ने विरोध किया है. इनमें गुजरात के कांग्रेस नेता अंबरीश डेर, कांग्रेस विधायक अर्जुन मोढवाडिया, आचार्य प्रमोद कृष्ण सहित कई नेता शामिल हैं.
वहीं, हिमाचल के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे और वर्तमान में राज्य के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने साफ-साफ कह दिया है कि वह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे. इतना ही नहीं साथ ही उन्होंने वीएचपी और आरएसएस को धन्यवाद भी दिया है.
जबकि मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे और कांग्रेस सांसद नकुलनाथ भी राम के रंग में डूबे हुए हैं. इससे तो साफ है कि कांग्रेस के फैसले के खिलाफ पार्टी में ही विरोध के स्वर तेज हो गए हैं.
वहीं राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जो गलती कभी पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी, जब नेहरू सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन में नहीं गए थे और आज उसी तरह की गलती कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने राम मंदिर उद्घाटन समारोह में न जाकर की है.
बता दें कि 11 मई, 1951 को गुजरात में सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन हुआ था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शामिल होने से साफ इनकार कर दिया था. जबकि, प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे, जिस पर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने आपत्ति जताई थी और उनके शामिल होने का विरोध किया था. ठीक इसी तरह कांग्रेस ने अभी फैसला लिया है और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम बताते हुए शामिल होने से मना कर दिया है. जानकारों का मानना है कि तब भी वोटों की राजनीति थी और आज भी कांग्रेस ने वोटों की राजनीति के चलते ऐसा फैसला लिया है.
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