आने वाली 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा है इस दिन का इंतजार न सिर्फ पूरा देश बल्कि सनातन से जुड़े विश्व भर में मौजूद रामभक्त कर रहे हैं. ऐसे समय में जब इतने भव्य और ऐतिहासिक दिन के हम साक्षी बनने जा रहे हैं तो ऐसे में उन रामभक्तों के बारे में जान लेते हैं, जिन्होंने वस्त्र, अन्न व भौतिक सुखों का त्याग कर इस दिन का इंतजार किया है. हमारी यह रिपोर्ट उन्हीं रामभक्तों के त्याग पर आधारित है, जो अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम समपन्न होने के बाद प्रभू राम के दर्शन के पश्चात ही पुन: अन्न और वस्त्र धारण करेंगे. आइये इन महान भक्तों के बारे में जानते हैं.
मौनी बाबा
मौनी बाबा के रूप में बुंदेलखंड में मशहूर दतिया के एक संत ने 1980 में प्रण लिया था कि जबतक राम मंदिर नहीं बन जाता तब तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगे. वे 44 साल से फल खा कर गुजारा कर रहे हैं और 1994 से उन्होंने राम मंदिर के लिए पैरों में चप्पल पहनना छोड़ दिया और मौन व्रत धारण कर लिया.
अभय चैतन्य
उत्तर प्रदेश के अमेठी के ‘मौनी स्वामी’ राम मंदिर निर्माण के लिए 37 साल में 56 बार भूमि समाधि ले चुके हैं. सागर आश्रम के अध्यक्ष अभय चैतन्य ब्रह्मचारी शिवयोगी (मौनी स्वामी) ने 1981 से 2023 तक राम मंदिर निर्माण के लिए कई यज्ञ अनुष्ठान भी किए हैं. वर्ष 1989-2000 तक स्वामी जी ने मौन व्रत लिया था और नेपाल में भी उन्होंने 41 दिनों की भूमि समाधि ली थी.
सरस्वती देवी
झारखंड के हजारीबाग की 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला सरस्वती देवी (मौनी माता) जी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का सपना सच होने के बाद तीन दशक (30 साल) से जारी अपना ‘मौन व्रत’ तोड़ेंगी. 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, तब से मौनी माता ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण तक मौन धारण करने की शपथ ली थी.
सूर्यवंशी क्षत्रिय
मुगल आक्रमणकारियों द्वारा राम मंदिर को तोड़ने के बाद से अयोध्या के सरायरासी, सिसिण्डा, सनेथू, भीटी, सराव, हंसवर, मकरही आदि 150 गांवों के 150,000 ग्रामीणों ने पगड़ी और चमड़े का जूता ना पहनने का फैसला किया था. राम मंदिर के निर्माण पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद आखिरकार 500 वर्षों के बाद इन लोगों ने पगड़ी और चमड़े के जूते पहने.
सत्यदेव शर्मा
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में वृद्धाश्रम चलाने वाले सत्यदेव शर्मा ने 21 साल पहले यह प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर नहीं बन जाएगा, तब तक वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगे. शर्मा 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम के बाद अन्न ग्रहण करेंगे.
रामगोपाल गुप्ता
राजस्थान के श्रीगंगानगर निवासी कार सेवक राम गोपाल गुप्ता प्रभु श्री राम जी के प्रतीक्षा में 33 साल से बिना बाल कटवाए हैं. ‘राम मंदिर आंदोलन’ के दौरान उन्होंने कसम खाई थी कि जब तक अयोध्या जी में मंदिर नहीं बन जाता तब तक वे अपने बाल और दाढ़ी नहीं कटवाएंगे.
देव दास
उत्तर प्रदेश के खगड़ा निवासी देव दास जी ने आंदोलन के समय प्रभु श्री राम को जब एक छोटी सी कुटिया में बसे हुए देखा तो उन्होंने उसी क्षण चप्पल पहनना छोड़ दिया. उन्होंने उसी समय यह प्रण लिया कि जब राम मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा, तभी वह अयोध्या जाकर जूता-चप्पल धारण करेंगे.
रवीन्द्र गुप्ता
मध्य प्रदेश के भोपाल निवासी कार सेवक रवींद्र गुप्ता (भोजपाली बाबा) जी जब 21 वर्ष के थे तब वह वर्ष 1992 में अयोध्या जी में कार सेवा के लिए आए थे. आंदोलन व कारसेवा के ही दौरान उन्होंने यह संकल्प लिया था कि जब तक मंदिर नहीं बनेगा तब तक वह अविवाहित ही रहेंगे.
वीरेंद्र कुमार बैठा
बिहार के दरभंगा जिले के खैरा गांव निवासी वीरेंद्र कुमार बैठा उर्फ झमेली बाबा, 31 वर्ष के बाद प्राण प्रतिष्ठा के दिन अन्न ग्रहण करेंगे. अब तक वह फल खाकर अपना जीवन गुजार रहे हैं. 7 दिसंबर 1992 को उन्होंने संकल्प लिया था कि मंदिर निर्माण तक वे केवल फल पर रहेंगे. यहां तक कि बाबा ने शादी तक नहीं की, बस उन्होंने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया.
उर्मिला चतुर्वेदी
मध्य प्रदेश के जबलपुर में 88 वर्षीय उर्मिला चतुवेर्दी ने राम मंदिर निर्माण के इंतजार में 28 साल तक अन्न का त्याग कर दिया. उर्मिला जी केवल फल और पानी का सेवन करती हैं.
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