अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा को लेकर राजनीति जारी है. इस बीच समारोह से पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों से सिस्टमैटिक (व्यवस्थित) तरीके से बाबरी मस्जिद को छीनने का आरोप लगाया.
ओवैसी ने शनिवार (20 जनवरी) को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर दावा किया कि बाबरी मस्जिद को सिस्टमैटिक ढंग से भारतीय मुसलमानों से छीन लिया गया था, जबकि वे वहां 500 साल से नमाज पढ़ रहे थे. उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए हुए कहा कि जब कांग्रेस के जीबी पंत उत्तर प्रदेश के सीएम थे, तो रात के अंधेरे में मस्जिद के अंदर मूर्तियां रख दी गईं थीं और फिर उन्हें निकाला नहीं गया.
कर्नाटक के कलबुर्गी में पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने कहा कि उस समय वहां के कलेक्टर नायर साहब ने मस्जिद बंद करवा कर वहां पूजा शुरू कर दी. इसके बाद 1986 में मुसलमानों को बिना बताए मस्जिद के ताले खोल दिए गए. इतना ही नहीं बूटा सिंह ने मंदिर का शिलान्यास भी कर दिए. ओवैसी ने आरोप लगाया कि 6 दिसंबर 1992 को सुप्रीम कोर्ट से वादा करने के बाद बीजेपी और संघ परिवार ने मस्जिद को तोड़ दिया. ओवैसी ने सवाल पूछते हुए कहा कि जब विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) का गठन हुआ तब तो राम मंदिर नहीं था.
इसके बाद AIMIM नेता ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि यकीनन यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है. उन्होंने कहा यह टाइटल सूट का केस था. कोर्ट ने आस्था की बुनियाद पर कहा कि हम ये जमीन मुसलमानों को नहीं दे सकते. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद को मंदिर तोड़कर नहीं बनाया गया था. ओवैसी ने आगे कहा कि मैंने यह फैसला आने के बाद कहा था कि इससे फैसले के बाद कई और केस खुल जाएंगे. आज हम देख रहे हैं कि संघ परिवार हर जगह जाकर बोलता है कि यहां मस्जिद नहीं थी. मेरा मानना है कि अगर जीबी पंत मूर्तियां हटा देते या ताले नहीं खोले जाते तो क्या आज हमें ये दिन देखना पड़ता. हमारे सवालों का कोई जवाब नहीं दे रहे है.
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