नई दिल्ली: आज दोपहर सदियों का इंतजार खत्म होगा. अपने धाम में प्रभु श्रीरामलला ठाट-बाट से विराज जाएंगे. चहुंओर खुशियों के आंसू बरस रहे हैं. अयोध्याधाम सज-धजकर पूरी तरह तैयार है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 22 जनवरी को होने वाले श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से पहले 11 दिन तक कठोर तप किया.
भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने अपने पोर्टल पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पूर्व संध्या पर 11 दिन की इस तपस्या पर ”शब्द चित्र” जारी किया है. पीआईबी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 जनवरी को नासिक के काला राम मंदिर से 11 दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत की. इसके सम्पन्न होने के साथ ही 22 जनवरी को अयोध्याधाम मंदिर में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. उन्होंने नासिकधाम के पंचवटी से अनुष्ठान की शुरुआत की. यहां भगवान श्रीराम ने महत्वपूर्ण समय बिताया था.
प्रधानमंत्री ने यहां श्री रामकुंड के दर्शन कर पूजा की. इस मौके पर प्रधाममंत्री ने रामायण का ‘युद्ध कांड’ खंड मराठी भाषा में सुना. प्रधानमंत्री ने संत एकनाथ की मराठी में लिखी भावार्थ रामायण के श्लोक भी सुने. इसके बाद प्रधानमंत्री 16 जनवरी को आंध्र प्रदेश स्थित पुट्टपर्थी के लेपाक्षी में वीरभद्र मंदिर में दर्शन और पूजा की. प्रधानमंत्री ने तेलुगु भाषा में रंगनाथ रामायण सुनी और आंध्र प्रदेश की प्राचीन छाया कठपुतली कला थोलू बोम्मालता द्वारा चित्रित जटायु की कहानी देखी. प्रधानमंत्री ने केरल के गुरुवयूर मंदिर में भी दर्शन और पूजा की. अगले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने केरल के त्रिप्रयार में श्री रामास्वामी के दिव्य निवास का दौरा किया. उन्होंने श्री रामस्वामी मंदिर में दर्शन और पूजा की. प्रधानमंत्री ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा और कलाकारों और बटुकों को सम्मानित भी किया.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 जनवरी को तमिलनाडु में श्री रंगनाथस्वामी के पवित्र मंदिर का दौरा किया. उन्होंने उस पवित्र स्थल पर कंब रामायण की काव्यात्मक प्रस्तुति भी सुनी. इसके बाद प्रधानमंत्री ने अरुलमिगु रामनाथस्वामी के पवित्र निवास, रामेश्वरम का दौरा किया. उन्होंने भगवान को श्रद्धा और भक्ति अर्पित की, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक के रूप में पूजनीय हैं. वह भजन संध्या जैसे विभिन्न कार्यक्रमों में भी शामिल हुए. शाम को मंदिर परिसर में कई आध्यात्मिक गीत प्रस्तुत किए गए. प्रधानमंत्री मोदी प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व संध्या पर धनुषकोडी के कोठंडारामास्वामी मंदिर पहुंचे. यहां पूजा करने के बाद अरिचल मुनाई गए. कहा जाता है कि यहीं पर राम सेतु का निर्माण हुआ था.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार
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