भारत के रक्षा क्षेत्र में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने की तरफ जल्द ही एक और उपलब्धि जुड़ने वाली है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) इस साल मार्च तक ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल का निर्यात शुरू करने वाला है. डीआरडीओ प्रमुख समीर वी. कामत ने खुद इसकी जानकारी दी.
मीडिया से बातचीत में कामत ने बताया कि डीआरडीओ अगले 10 दिन में ही इन मिसाइलों के ग्राउंड सिस्टम्स का निर्यात शुरू करेगा. उनहोंने बताया कि इस साल मार्च तक क्रूज मिसाइलें भेजे जाने की उम्मीद है. ये ऐलान डिफेंस टेक्नोलॉजी क्षेत्र में खासतौर पर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के क्षेत्र में भारत की प्रगति को दिखाता है.
इतना ही नहीं डीआरडीओ ने जिन 307 ATAGS बंदूकों को विकसित किया है और जिनका निर्माण भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियां कर रही हैं, उनके लिए भी इस वित्तीय वर्ष के अंत तक विदेश से ऑर्डर आ सकता हैं.
दरअसल, जनवरी 2022 में भारत और फिलीपींस के बीच ब्रह्मोस मिसाइलों को लेकर 375 मिलियन डॉलर की डील हुई थी. इसके तहत भारत फिलीपींस को मिसाइलों की डिलीवरी करेगा. 290 किमी रेंज वाली इन मिसाइलों को एक्सपोर्ट करने का ये अपनी तरह का पहला समझौता था. इस डील के तहत दो सालों में एंटी-शिप वर्जन की तीन मिसाइल बैटरियों को एक्सपोर्ट दिया जाना है. माना जा रहा है कि इसी कड़ी में ब्रह्मोस मिसाइल फिलीपींस को एक्सपोर्ट किए जाएंगे.
तो वहीं ब्रह्मोस मिसाइलों को खरीदने में दक्षिण एशिया के कई देशों ने रूची दिखाई है. इसमें इंडोनेशिया, वियतनाम जैसे देश शामिल हैं. पिछले साल खबर आई थी कि वियतनाम भारत से ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर 625 मिलियन डॉलर का सौदा करना चाहता है.
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