जब भारत को 1947 में आजादी मिली तब देश को सिर्फ अंग्रेजों के गुलामी से छुटकारा मिला था. उस वक्त हमारे देश के पास संविधान नहीं था मतलब कुछ ऐसे बुनियादी नियम जिनका पालन नागरिकों और सरकार, दोनों को करना होता है. ऐसे सभी नियमों का सम्मिलित रूप संविधान कहलाता है. जो भारत के पास आजादी के बाद तीन सालों तक नहीं था. साल 1950 में भारत को अपना संविधान मिला.
भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस साल देश अपना गणतंत्र दिवस का 75वां वर्षगांठ मना रहा है. हर साल इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. सभी देशवासियों के लिए ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन के आयोजन में नई दिल्ली में कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इस दिन कर्तव्य पथ जो कि पहले राजपथ के लिए जाना जाता था उसपर परेड होती है. इस मौके पर तीनों सेनाएं मार्च करती हैं और सैन्य उपकरणों के प्रदर्शन प्रदर्शित किए जाते हैं. हर साल इस दिन के आयोजन के लिए एक मुख्य अथिति को निमंत्रित किया जाता है. इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन शामिल हुए.
कर्तव्य पथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस जगह ने आजादी के लिए भारत के संघर्ष में अहम किरदार निभाया था. इस स्थान को पहले किंग्सवे के नाम से जाना जाता था. यह इलाका राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के दिल कहलाता है. भारत की आजादी के बाद ही इसका नाम किंग्सवे से बदलकर राजपथ कर दिया गया. आजादी के दिन से लेकर पिछले सात दशकों में हर साल यहां गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित की गई है.
राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का यह विस्तार देश में एक ऐतिहासिक अहमियत रखता है. कर्तव्य पथ औपनिवेशिक अधीनता से एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बनने तक भारत की परिवर्तनकारी यात्रा का प्रतीक रहा है. अपने इसी ऐतिहासिक अहमियत के कारण कर्तव्य पथ पर हर वर्ष पर गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है.
आपको बता दें कि पहली गणतंत्र दिवस परेड इरविन स्टेडियम में आयोजित की गई थी, यह इलाका दिल्ली के पुराने किले के सामने था जहां पहली गणतंत्र दिवस परेड आयोजित की गई थी. इस जगह को अब मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम नाम से जाना जाता है. उस दौरान स्टेडियम की चारदीवारी नहीं थी. खुले मैदान के सामने स्थित पुराना किला साफ दिखाई पड़ता था.
इरविन स्टेडियम में पहली बार गणतंत्र दिवस के आयोजन के बाद भी 1955 तक अलग-अलग जगहों पर इस समारोह का आयोजन किया गया. इसके बाद 1954 तक गणतंत्र दिवस पर तिरंगा कभी स्टेडियम, किंग्सवे (राजपथ), लालकिला तो कभी रामलीला मैदान में फहराया गया. राजपथ पर इस परंपरा की नियमित शुरूआत वर्ष 1955 से हुई. तब से आज तक गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान परेड की शुरुआत रायसिना हिल्स से होती है और वह राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला तक पहुंचती है.
साल 2022 के सितंबर महीने में राजपथ का नाम बदला गया. इस जगह का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ किया गया. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा फिर से डिजाइन किए गए सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के हिस्से के रूप में इसका आधिकारिक उद्घाटन किया गया.
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