पिछले 10 वर्षों में भारत ने रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए तेजी से प्रगति की है. आज इस क्षेत्र में भारत की छवि आयातक से निकल कर निर्यातक के तौर पर बन रही है. भारतीय हथियारों की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से 24 जनवरी 2024 को बताया गया कि भारत अगले 10 दिनों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लिए ग्राउंड सिस्टम का निर्यात शुरू कर देगा, जबकि सिस्टम की मिसाइलें इस साल मार्च तक भेजी जाएंगी. डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने एएनआई के साथ एक मीडिया साक्षात्कार में कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम का पहला सेट मार्च के अंत तक फिलीपींस पहुंचने की उम्मीद है. फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात भारत द्वारा किसी भी विदेशी देश के साथ हस्ताक्षरित अब तक का सबसे बड़ा रक्षा निर्यात अनुबंध है.
बता दें कि भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के तट-आधारित एंटी-शिप संस्करण की आपूर्ति के लिए जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
तो वहीं ब्रह्मोस मिसाइलों को खरीदने में दक्षिण एशिया के कई देशों ने रुचि दिखाई है. इसमें इंडोनेशिया, वियतनाम जैसे देश शामिल हैं. पिछले वर्ष खबर आई थी कि वियतनाम भारत से ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर 625 मिलियन डॉलर का सौदा करना चाहता है.
डीआरडीओ अध्यक्ष ने कहा कि विकास अब पहले की तुलना में बहुत तेजी से हो रहा है, मेरा अनुमान है कि 60 प्रतिशत या 70 प्रतिशत से अधिक उत्पाद पिछले 5-7 वर्षों में शामिल किए गए हैं. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे यह दर तेजी से बढ़ने वाली है. डीआरडीओ अध्यक्ष ने कहा कि भारत निर्यात रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है.
रक्षा मंत्रालय की वर्षांत समीक्षा रिपोर्ट 2023 में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में रक्षा उत्पादन का मूल्य पहली बार एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह 95,000 करोड़ रुपये था. व्यापार करने में आसानी के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कई नीतिगत सुधार किए गए हैं, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला में एमएसएमई और स्टार्ट-अप का एकीकरण भी शामिल है. इन नीतियों के कारण, एमएसएमई और स्टार्ट-अप उद्योग तेजी से बढ़ा है और पिछले 7-8 वर्षों में उद्योगों को जारी किए गए रक्षा लाइसेंस की संख्या में लगभग 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार की लगातार नीतिगत पहलों और रक्षा उद्योग के जबरदस्त योगदान के माध्यम से रक्षा निर्यात लगभग सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. वित्त वर्ष 2022-23 में 16,000 करोड़ रुपये निर्यात रहा जोकि पिछले वित्तीय वर्ष से लगभग 3,000 करोड़ रुपये अधिक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016-17 के बाद से इसमें 10 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है. भारत अब 85 से अधिक देशों को निर्यात कर रहा है. भारतीय उद्योग ने दुनिया को अपनी डिजाइन और विकास की क्षमता दिखाई है, वर्तमान में 100 कंपनियां रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रही हैं. निर्यात किए जाने वाले प्रमुख प्लेटफार्मों में डोर्नियर-228, 155 मिमी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड वाहन, बख्तरबंद वाहन, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, गोला-बारूद, थर्मल इमेजर्स, बॉडी आर्मर, आदि शामिल हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि एलसीए-तेजस, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, आकाश रक्षा मिसाइल प्रणाली, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, एयरक्राफ्ट कैरियर आदि की वैश्विक मांग बढ़ रही है.
भारतीय हथियारों की सबसे ज्यादा मांग लैटिन अमेरिकी देशों, अफ्रीकी देशों और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में हो रही है. जिस तरह से भारतीय हथियारों की मांग बढ़ रही है उससे तो कहा जा सकता है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत वैश्विक रक्षा निर्यात में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर कर सामने आएगा.
कमेंट