नई दिल्ली: बिहार में जहां एक तरफ सियासी घमासान जारी है तो वहीं इस बीच लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने लैंड फॉर जॉब मामले में ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया है. स्पेशल जज विशाल गोगने ने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, मीसा भारती, हिमा यादव, हृदयानंद चौधरी समेत मामले के सभी आरोपितों को 09 फरवरी को पेश होने का निर्देश दिया.
कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार अमित कात्याल के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया. कोर्ट ने 18 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. 16 जनवरी को सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश वकील मनीष जैन ने कहा था कि आरोपित अमित कात्याल ने 2006-07 में एके इन्फोसिस्टम नामक कंपनी का गठन किया. ये कंपनी आईटी से जुड़ी हुई थी. इस कंपनी ने वास्तविक रूप से कोई व्यापार नहीं किया बल्कि कई भूखंड खरीदे. इनमें से एक भूखंड लैंड फॉर जॉब के अपराध से हासिल किया गया. इस कंपनी को 2014 में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम पर एक लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया गया.
मनीष जैन ने कहा था कि एबी एक्सपोर्ट नामक कंपनी 1996 में एक्सपोर्ट का व्यापार करने के लिए गठित की गई थी. 2007 में एबी एक्सपोर्ट कंपनी को पांच कंपनियों के पांच करोड़ रुपये मिले और न्यू फ्रेंड्स कालोनी में एक संपत्ति खरीदी गई. मनीष जैन ने कहा था कि इस मामले में सात भूखंडों का मामला है. इनमें से राबड़ी देवी, हेमा यादव और मीसा भारती ने भूखंड हासिल किए. बाद में इन्होंने इन भूखंडों को बेच दिया.
नौ जनवरी को ईडी ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. ईडी ने चार्जशीट में राबड़ी देवी, मीसा भारती, हिमा यादव, हृदयानंद चौधरी और अमित कात्याल को आरोपित बनाया है. ईडी ने हाल ही में अमित कात्याल को गिरफ्तार किया था. लैंड फॉर जॉब मामले में ईडी के पहले सीबीआई ने केस दर्ज की थी. सीबीआई का मामला भी दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में ही चल रहा है.
सीबीआई से जुड़े मामले में कोर्ट ने 04 अक्टूबर, 2023 को उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, लालू यादव और राबड़ी देवी को जमानत दी थी. कोर्ट ने 22 सितंबर, 2023 को सीबीआई की ओर से दाखिल दूसरी चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. तीन जुलाई, 2023 को सीबीआई ने पूरक चार्जशीट दाखिल की थी. कोर्ट ने 27 फरवरी, 2023 को इन तीनों आरोपितों समेत सभी आरोपितों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था.
लैंड फॉर जॉब घोटाले में सीबीआई ने भोला यादव और हृदयानंद चौधरी को गिरफ्तार किया था. भोला यादव 2004 से 2009 तक लालू यादव के ओएसडी रहे थे. लैंड फॉर जॉब घोटाला लालू के रेल मंत्री रहने के दौरान का है. भोला यादव को ही इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है. आरोप है कि लालू के रेल मंत्री रहते नौकरी के बदले जमीन देने के लिए कहा जाता था. नौकरी के बदले जमीन देने के काम को अंजाम देने का काम भोला यादव को सौंपा गया था. उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने मई 2015 के तीसरे सप्ताह में इस मामले में लालू के परिजनों से जुड़े 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी. सीबीआई ने लालू, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती के पटना, गोपालगंज और दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार
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