देश के पूर्वी राज्य असम में मां कामाख्या कॉरिडोर विकसित होने जा रहा है. इस पर कुल 498 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (4 फरवरी) मां कामाख्या कॉरिडोर का शिलान्यास किया. पीएम ने इस दौरान कहा कि स्वतंत्रता के बाद सत्ता में रहे लोग पूजा स्थलों के महत्व को नहीं समझ सके और उन्होंने राजनीतिक वजहों से अपनी ही संस्कृति पर शर्मिंदा होने की प्रवृत्ति बना दी. पीएम ने कहा कि आने वाले समय में विकसित भारत बनाने में तीर्थाटन इकनॉमी का बड़ा योगदान होगा, मंदिरों को लेकर कहा जाता है कि इससे स्थानीय रोजगार मिलता है लेकिन अब जो बड़ी तस्वीर सामने आ रही है उससे साफ पता चल रहा है कि यह विकास के पहिए को भी घुमाते हैं.
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर से 498 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे कामाख्या मंदिर कॉरिडोर बनने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस शक्ति पीठ में दर्शन के लिए आएंगे. इससे पूरे पूर्वोत्तर के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और यह पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार बन जाएगा.
भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देते धार्मिक पर्यटन स्थल
बता दें कि पिछले दो वर्ष में बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने रिकॉर्ड संख्या में भक्त पहुंचे हैं. आंकड़े बताते हैं कि काशी कॉरिडोर बनने के बाद 13 करोड़ से अधिक श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे. 13 दिसंबर 2021 को काशी कॉरिडोर का लोकार्पण हुआ था. काशी की भव्यता और दिव्यता को देखने के लिए सिर्फ आसपास के जिले ही नहीं बल्कि दूर के राज्यों से भी लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. कॉरिडोर बनने के बाद पहले की तुलना में अधिक संख्या में श्रद्धालुओं को एक बार में ही दर्शन करने की सुविधा भी उपलब्ध है. परिसर में मेडिकल सुविधा, जलपान, बैठने की व्यवस्था, गंगा द्वार जैसी सुविधाएं लोगों को आकर्षित करती हैं. इतनी बड़ी संख्या में आने वाले पर्यटकों की वजह से इसका सीधा लाभ वाराणसी को हुआ. अर्थव्यवस्था की दृष्टिकोण से बात की जाए तो बनारस की अर्थव्यवस्था में कॉरिडोर बनने के बाद से 10 गुना वृद्धि हुई है. वर्ष 2021 में लोकार्पण से पहले तक जितनी संख्या में धार्मिक पर्यटन के लिए लोग आते थे उनकी संख्या सुविधाओं के अभाव में बेहद कम होती थी लेकिन जैसे-जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं में इजाफा हुआ यहां पर पर्यटकों की संख्या में लगभग 10 गुना की बढ़ोतरी हुई है. यहां कोई भी पर्यटक आता है तो वह यहां के बाजार में 1000 से 2000 के बीच खर्च करता है और यह यहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है.
अयोध्या में श्रद्धालुओं की भीड़
काशी, उज्जैन, केदारनाथ और अब अयोध्या में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. नवीनतम आंकड़ों के अनुसार पिछले एक वर्ष में 8.5 करोड़ लोगों ने काशी की यात्रा की, पांच करोड़ से अधिक ने उज्जैन में महाकाल लोक के दर्शन किए और 19 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने केदारधाम के दर्शन किए. राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के केवल 12 दिनों में, अयोध्या में 24 लाख से अधिक श्रद्धालु पर्यटक आए. धार्मिक पर्यटन बढ़ने से अयोध्या समेत प्रदेश के दूसरे जिलों में काफी तेजी से चीजें बदल रही हैं. प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार घरेलू पर्यटन के मामले में यूपी पूरे देश में पहले नंबर पर है. वर्ष 2022 में प्रदेश में जहां 31.85 करोड़ पर्यटक आए थे, यह संख्या 2021 के मुकाबले 180 प्रतिशत अधिक है. अब राम मंदिर जिसका उद्धाटन इसी वर्ष 22 जनवरी को हुआ है उसके बाद यह संख्या कहीं अधिक बढ़ जाएगी, यह तय माना जा रहा है.
इन धार्मिक स्थलों का निर्माण कार्य
बीते दो-तीन वर्ष के भीतर ही काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, महाकाल कॉरिडोर बन चुके हैं. वहीं मथुरा-वृंदावन, अयोध्या के बाद अब गुवाहाटी में कामख्या मंदिर के कॉरिडोर का काम शुरू हो गया है. आज राज्य सरकारें मंदिर विकास और धार्मिक कॉरिडोर पर फोकस कर रही हैं. वर्तमान समय में देश में अभी 20 से अधिक मंदिर कॉरिडोर पर काम शुरू है और इस पर लगभग 13 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. राजस्थान में तीन कॉरिडोर, उत्तर प्रदेश में मथुरा-वृंदावन कॉरिडोर, अयोध्या में राम जन्मभूमि कॉरिडोर. इसी तरह से मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर में सबसे अधिक खर्च हो रहा है. महाराष्ट्र, गुजरात में भी ऐसे कॉरोडोरों का निर्माण हो रहा है. काशी कॉरिडोर की ही तरह बाबा बैद्यनाथ कॉरिडोर पर तेजी से काम चल रहा है. आने वाले कुछ ही वर्षों में पता चल जाएगा कि तीर्थाटन इकॉनामी किस तरह से विकसित भारत की राह आसान करेगा.
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