उत्तराखंड में मंगलवार (6 फरवरी) को समान नागरिक संहिता संसद में पेश किया गया. तो वहीं अब इस कानून को राजस्थान में भी लाने की चर्चा तेज हो गई है. राजस्थान की सरकार ने भी समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारी में जुट गई है. राजस्थान के कैबिनेट मिनिस्टर कन्हैया लाल चौधरी ने कहा है कि हम भी समान नागरिक संहिता को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं और तैयारी भी शुरू हो गई है. उन्होंने समान नागरिक संहिता को लाने के लिए उत्तराखंड की सरकार को बधाई भी दी.
कैबिनेट मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लाने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना है, उनको बधाई देता हूं. हम भी इस कानून को लागू करने की तैयारी कर रहे हैं. देश में कानून तो एक ही चलेगा, दो नहीं चल सकता है. भारत में तो समान नागरिक संहिता बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से बात करके इस बिल को लागू करने के लिए चर्चा करने जा रहे हैं. वहीं, हिजाब को लेकर मंत्री ने कहा कि इसे हटा देना चाहिए. ड्रेस कोड हर जगह चल रहा है, ऐसे में हिजाब को हटाया जाना चाहिए.
आपको बता दे कि राजस्थान में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करते हुए बीजेपी सत्ता में आ गई. भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया है. बीजेपी सरकार की वापसी के बाद से ही राजस्थान में समान नागरिक संहिता को लेकर चर्चा और मांग दोनों तेज हो गई है. भजनलाल सरकार के कई मंत्रियों का मानना है कि राज्य में समान नागरिक संहिता बहुत जरूरी है.
दरअसल, उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने आज यानी मंगलवार को समान नागरिक संहिता बिल विधानसभा में पेश किया. अब इस बिल पर चर्चा होगी और फिर उसे पास करने के लिए वोटिंग होगी. संभावनाएं है कि इसी सत्र में बिल पास हो जाएगा क्योंकि विधानसभा में बीजेपी बहुमत में है. बिल पास होने के बाद उसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. उनके हस्ताक्षर के बाद यह कानून के रुप में लागू हो जाएगा. तो आइए जानते हैं कि इस बिल में क्या खास है.
- समान नागरिक संहिता के तहत सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी
- पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार मिलेंगे
- लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी होगा
- लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा
- लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेंगे
- महिलाओं के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं है
- अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर हैं
- बहु विवाह पर रोक यानी पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकती है.
- शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा
- पैतृक संपत्ति में लड़कियों को बराबर का हक मिलेगा
विधानसभा में बिल पास होने और राज्यपाल की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद देवभूमि उत्तराखंड देश में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला आजादी के बाद पहला राज्य होगा. जानकारी के अनुसार, मसौदे में 400 से ज्यादा धाराएं हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से पैदा होने वाली विसंगतियों को दूर करना है.
बता दें कि मुख्यमंत्री धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता पर लोगों और विशेषज्ञों की राय जानने के लिए एक हाई लेवल कमेटी बनाई थी. कमेटी ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. जिसके बाद अब सरकार ने विधानसभा में बिल को पेश किया है. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में समान नागरिक संहिता से जुड़ी उन हर छोटी-बड़ी चीजों के बारे में अपनी राय दी है.
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