इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी तहखाने में पूजा की अनुमति के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई बुधवार (7 फरवरी) को लगभग दो घंटे चली. अब 12 फरवरी को सुबह 10 बजे से फिर से इस मामले की सुनवाई होगी. पहले मंदिर पक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने पक्ष रखा फिर मस्जिद पक्ष से एसएफए नकवी ने दलील पेश की.
मंदिर पक्ष की ओर से कहा गया कि वर्ष 1993 से साल में एक बार पूजा की जाती रही है. मंदिर पक्ष की ओर से जिला जज की अदालत के 17 और 31 जनवरी के आदेश को विधि अनुरूप बताया गया.
वहीं मस्जिद पक्ष का कहना है कि 31 जनवरी का आदेश बिना अर्जी के दिया गया. न्यायमूर्ति ने जब यह कहा कि ऐसे कई निर्णय हैं जो यह प्रदान करते हैं कि न्यायालय की स्वत: संज्ञान लेने की शक्ति पर कोई रोक नहीं हैं, तब मस्जिद पक्ष से वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी ने कहा कि आदेश में यह नहीं लिखा है कि यह स्वप्रेरणा से पारित किया गया. मस्जिद पक्ष ने कहा कि डिस्ट्रिक जज का आदेश क्षेत्राधिकार से बाहर है.
साथ ही नकवी ने यह भी दावा किया कि 1993 में व्यास परिवार ने पूजा का अधिकार छोड़ दिया. मस्जिद पक्ष की दलील थी कि दीन मोहम्मद मामले से यह पता नहीं चलता है कि वहां कोई तहखाना है, जिस पर मुसलमानों के अलावा किसी और का कब्जा है. अब इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट 12 फरवरी को सुनवाई करेगा.
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