वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार (8 फरवरी) को लोकसभा में ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र’ पेश किया. इस ‘श्वेत पत्र’ में यूपीए सरकार के दौरान बर्बाद हुई अर्थव्यवस्था को उजागर किया गया है. इसमें कहा गया है कि यूपीए सरकार को अधिक सुधारों के लिए तैयार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली, लेकिन उसने अपने 10 वर्षों में इसे निष्क्रिय बना दिया गया. वर्ष 2004 में जब यूपीए सरकार का कार्यकाल शुरू हुआ था, तो भारतीय अर्थव्यवस्था आठ प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रही थी. इसमें यह भी बताया गया कि किस तरह से बीते 10 वर्षों में एनडीए सरकार ने ध्वस्त हुई अर्थव्यवस्था पर काबू पाया.
श्वेत पत्र में बताया गया है कि यूपीए के शासनकाल में निवेशक विदेश चले गए. साथ ही उस दौरान बैंकिंग सेक्टर घाटे में था. राजकोषीय घाटे से अर्थव्यवस्था संकट गहरा गया था. श्वेत पत्र में कहा गया कि यूपीए सरकार के शासन में आम जनता महंगाई से बुरी तरह परेशान थी. यूपीए कार्यकाल ने अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया. आइये जानते हैं मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए श्वेत पत्र से जुड़ी खास बातें…
पेश श्वेत पत्र की बड़ी बातेंः
-एनडीए कार्यकाल में किसी भी प्रमुख फ्लैगशिप कार्यक्रम में कटौती नहीं की गई है, न ही आवंटन को घटाया गया है.
-यूपीए शासन में कई घोटाले हुए, जिनसे सरकारी खजाने पर बुरा असर पड़ा और राजकोषीय एवं राजस्व घाटा हुआ.
-वर्ष 2014 में एनडीए सरकार को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त अर्थव्यवस्था विरासत में मिली, जिसकी नींव आत्मनिर्भर भारत बनाने से रखी गई.
-यूपीए शासन में बैंकिंग क्षेत्र संकट में था, जो एनडीए सरकार को विरासत में मिली थी.
-यूपीए सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में पूरी तरह विफल रही.
-यूपीए शासन में ऐसी बाधाए पैदा हुईं, जिन्होंने अर्थव्यवस्था को बहुत पीछे धकेल दिया.
-एनडीए सरकार के आर्थिक प्रबंधन और शासन ने हर चुनौती का सामना किया और उस पर काबू पाया.
-मोदी सरकार के आर्थिक प्रबंधन ने भारत को निरंतर उच्च विकास के पथ से रहटने नहीं दिया.
-एनडीए सरकार ने अपने पूर्ववर्ती यूपीए के विपरीत आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कड़े फैसले लिए.
-एनडीए सरकार ने साहसिक सुधारों के साथ एक मजबूत अधिरचना का निर्माण किया.
-पिछले 10 वर्षों में एनडीए सरकार ने पिछली यूपीए सरकार द्वारा छोड़ी गई चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पाया.
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