उत्तराखंड के हल्द्वानी में गुरुवार (8 फरवरी) को उसी इलाके में हिंसा भड़की, जहां रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला जनवरी 2023 में सुर्खियों में आया था. दरअसल, बनभूलपुरा इलाके में गुरुवार (8 फरवरी) उस वक्त हिंसा भड़क गई, जब नगर निगम और पुलिस की टीम अतिक्रमण हटाने पहुंची. पुलिस और नगर निगम की टीम को देखते ही उपद्रवियों ने सड़क पर उतरकर आगजनी शुरू कर दी. पुलिस वालों को जिंदा जलाने की कोशिश की गई. इस दौरान कई गाड़ियों, दुकानों को आग लगा दी और जमकर तोड़फोड़ की. मामले की गंभीरता को देखते हुए नैनीताल जिले के जिलाधिकारी ने प्राभावित इलाकों में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है और दंगाईयों को देखते ही गोली मारने के आदेश भी जारी किए गए हैं.
माना जा रहा है कि इस बवाल की स्क्रिप्ट 13 महीने पहले यानी जनवरी 2023 में ही लिखी गई थी. दरअसल, एक जनवरी 2023 को उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके से ही एक खबर आई कि रेलवे स्टेशन के पास अवैध कॉलोनियों को हटाया जाएगा. इन कॉलोनियों में 4 हजार से ज्यादा परिवार अवैध रूप से रहते थे, जिन्हें घर खाली करने के लिए प्रशासन की ओर से नोटिस भेजी गई थी. यहा रहने वाले लोग न सिर्फ अवैध कब्जा करके यहां रह थे बल्कि इन पर आरोप था कि इन लोगों को कांग्रेस की सरकारों के दौरान अवैध रूप से बसाया गया. इनमें से अधिकतर बांग्लादेश से आए लोग और रोहिंग्या मुसलमान शामिल हैं, यानि सिर्फ जमीन पर अवैध कब्जे की ही बात नहीं है बल्कि यहां रह रहे ज्यादातर लोगों पर भारत में गैरकानूनी रूप से रहने का भी आरोप है.
उत्तराखंड हाई कोर्ट की ओर से करीब 21 दिसंबर को बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की भूमि पर बने अवैध निर्माण को हटाने का आदेश जारी किया गया था. इस जमीन पर करीब 15 से 20 मस्जिद और मदरसे भी बनाए गए हैं. अवैध कॉलोनी को खाली करने के लिए एक हफ्ते यानी सात दिन का समय दिया गया था. रेलवे की ओर से बताया गया था कि रेलवे की जमीन पर बने कुल 4 हजार 365 ढांचे हैं, जिन्हें हटाने के लिए समाचार पत्रों के जरिए नोटिस दिया गया था. रेलवे ने ये भी कहा कि मामले को लेकर एक दशक तक कोर्ट में सुनवाई चली, जिसके बाद कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया.
मामले की जानकारी के बाद रेलवे की 2.2 किलोमीटर लंबी पट्टी पर बनी अवैध कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने सरकारी आदेश का विरोध किया. हजारों लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए कैंडल मार्च भी निकाला, कहा गया कि हम सभी बेघर हो जाएंगे. कुछ परिवारों ने तो यहां तक दावा किया कि वे 40-50 वर्ष से घर बनाकर रह रहे हैं. लोगों की विरोध की आवाज दिल्ली तक पहुंची और फिर सुप्रीम कोर्ट में मामले को लेकर सुनवाई शुरू हुई.
5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे की जमीन पर रहने वाले 4 हजार परिवारों के लगभग 50 हजार लोगों को बड़ी राहत देते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय कौल ने कहा कि मामले को मानवीय नजरिए से भी देखने की आवश्यकता है. जस्टिस संजय कौल ने ये भी कहा कि सरकार को पहले इन लोगों के लिए पुनर्वास योजना लानी चाहिए थी. इस मामले में अगली सुनवाई फरवरी में हुई. फरवरी में सुनवाई के दौरान फिर से सुप्रीम कोर्ट ने 8 हफ्ते के लिए कार्रवाई पर रोक लगाते हुए 2 मई 2023 को सुनवाई की बात कही. 2 मई को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फिर 20 अगस्त को सुनवाई की बात कही लेकिन जज नहीं मिल पाने के चलते सुनवाई नहीं हो पाई. तब से अब तक कोई नई तारीख नहीं मिल पाई है.
बता दें कि बनभूलपुरा इलाका आजादी के वक्त यानी 1947 में बसा था. यहां की लगभग 82 एकड़ जमीन विवादित है, जिस पर 4000 परिवार रहते हैं. विवादित इलाके में 15 से 20 मस्जिद मदरसा, 2 पानी की टंकी, 2 इंटर कॉलेज, 5 प्राइमरी स्कूल, 15 प्राइवेट स्कूल, 1 धर्मशाला, 1 सामुदायिक केंद्र और 1 अस्पताल भी है.
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