उत्तराखंड के हल्द्वानी में मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने गुरुवार (8 फरवरी) को ऐसा उत्पात मचाया जिसमें कई लोगों की जान गई और सैकड़ों लोग घायल हुए. यह सब पूरी प्लानिंग से साथ किया गया. जिसका खुलासा भी देहरादून की डीएम कर चुकी हैं. हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में एक तरफ प्रशासन शांतिपूर्वक अतिक्रमण विरोधी अभियान चला रहा था, तो दूसरी तरफ इस्लामिक कट्टरपंथियों की नीयत के हिसाब से बड़े हमलों की चाल को अंजाम दिया जा रहा था. इस्लामिक कंटरपंथी हमलावरों की भीड़ ने दो हिस्सों में हमला किया. पहली बार में उन्होंने पत्थरबाजी की, इसके बाद पत्थरबाजों की भीड़ पीछे हटी, तो दूसरा हमला शुरू हुआ पेट्रोल बमों के धमाकों से. उसके बाद हमलावर दूसरे इलाके में घुसे और वहां भी जमकर उत्पात मचाया. ये पहली घटना नहीं है कि इस तरह की वारदात को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया है. इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं घट चुकी हैं. इसके पीछे डेमोग्राफिक चेंज बड़ा कारण है.
देवभूमि उत्तराखंड में जनसांख्यिकीय बदलाव (डेमोग्राफिक चेंज) चिंता विषय बनता जा रहा है. धर्मनगरी हरिद्वार से लेकर चारधाम यात्रा मार्गों से लगे क्षेत्रों में जिस तरह से मुस्लिम जनसंख्या बढ़ रही है, उसे समाजशास्त्रियों का बड़ा वर्ग स्वाभाविक नहीं मान रहा है. इससे उत्तराखंडी समाज में तमाम तरह की शंका-आशंकाएं पैदा हो रही हैं. प्रदेश की स्थिति पर नजर दौड़ाएं तो हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, देहरादून व नैनीताल ऐसे जिले हैं, जहां परिवर्तन अधिक देखने में सामने आए हैं.
खबरों में लगातार आ रहा है कि उत्तराखंड का पहाड़ी क्षेत्र पलायन की मार से जूझ रहा है. इस परिदृश्य के बीच बड़े पैमाने पर बाहर से आए व्यक्तियों, विशेषकर एक समुदाय विशेष के व्यक्तियों ने पिछले 10-11 वर्षों में यहां न सिर्फ ताबड़तोड़ जमीनें खरीदीं, बल्कि उनकी बसावट बड़ी तेजी से बढ़ी है.
जनसांख्यिकीय बदलाव की धरातलीय स्थिति का आंकलन करें तो यह वास्तविकता के करीब नजर आती है. धर्मनगरी हरिद्वार को ही लें तो हरिद्वार के हरकी पैड़ी क्षेत्र को छोड़ कर अन्य क्षेत्रों में उसका हिंदू धर्मनगरी जैसा स्वरूप सीमित होता जा रहा है. हरकी पैड़ी व उससे लगे क्षेत्र को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में समुदाय विशेष की तेजी से हो रही बसावट एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है.
इसी तरह की स्थिति को चारधाम वाले जिलों चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी के यात्रा वाले मार्गों पर भी देखा जा सकता है. इन क्षेत्रों में विभिन्न व्यवसायों के नाम पर समुदाय विशेष के व्यक्तियों की संख्या बढ़ने के साथ ही वे वहां भूमि खरीदकर रहने भी लगे हैं.
वहीं, मैदानी स्वरूप वाले चार जिलों में जनसांख्यिकीय बदलाव अधिक देखने में आ रहा है. हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, देहरादून व नैनीताल जिलों मैदानी क्षेत्रों के जनसंख्या के आंकड़ों को देखें तो वहां मुस्लिम जनसंख्या तेजी से बढ़ी है. वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार तब राज्य में मुस्लिम जनसंख्या 1012141 थी, जिसमें 958410 लोग मैदानी और 53731 पर्वतीय क्षेत्र में रह रहे थे. वर्ष 2011 की जनगणना में मुस्लिम जनसंख्या बढ़कर 1406825 हो गई. जिसमें मैदानी क्षेत्र की जनसंख्या 1343185 और पर्वतीय क्षेत्र की 63640 थी.
बता दें कि नवंबर 2000 में जब उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था तो मुस्लिमों की आबादी केवल 1.5 प्रतिशत थी. वहीं 2011 की जनगणना में यह बढ़कर 13.95% हो गई. यानि 11 वर्ष में 12.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई. जबकि इसकी तुलना में हिन्दुओं की जनसंख्या में मामूली सी ही वृद्धि हुई.
वर्ष 2011 के बाद का मुस्लिमों की जनसंख्या में वृद्धि को लेकर आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. लेकिन जानकारों का कहना है जनसंख्या बढ़ने के साथ इस रफ्तार में कमी के कोई संकेत नहीं हैं.
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