पीएम मोदी ने भारत की 3 महान हस्तियों को भारत रत्न पुरस्कार देने की घोषणा की है. जिसमें से एक देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का नाम शामिल है. चौधरी चरण सिंह एक जातिवाद विरोधी में से एक थे, जिन्होंने बागपत की धरती को कर्मस्थली बनाकर न तो कभी हार मानी और न ही सिद्धांतों के विपरीत गये. उनका जीवन एक खुली किताब की तरह था, जिसका पन्ना कोरा रहा. तो आइये जानते हैं पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बारे में…
झोपड़ी में जन्म लिए थे चरण सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह एक बहुत ही गरीब परिवार से संबंध रखते थे. उनका जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ के नूरपुर गांव में छप्पर के घर यानी झोपड़ी में हुआ था. चरण सिंह के पिता चौ. मीर सिंह एक साधारण किसान थे. उन्होंने वर्ष 1926 में जानीखुर्द से अपनी प्राथमिक शिक्षा व कानून की पढ़ाई पूरी की.
देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका
चरण सिंह वर्ष 1929 में जिला पंचायत सदस्य बने. 1930 में बापू के आह्वान पर उन्होंने नमक बनाया. साल 1937 में प्रांतीय धरा सभा के सदस्य भी बने. 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन में भाग लेने के कारण जिला प्रशासन मेरठ ने उन्हें देखते ही गोली मारने का निर्देश दिया था. उन्होंने देश के लिए खुद को समर्पित कर दिया था. देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए जेल की सजा तक काटी थी. चौधरी चरण सिंह 3 अप्रैल 1967 में पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. उन्होंने 28 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री की शपथ ली थी.
जातिवाद विरोधी थे चरण सिंह
चरण सिंह 1939 में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में एक प्रस्ताव लेकर आए थे. इस प्रस्ताव में शैक्षणिक संस्था या लोक सेवा में प्रवेश करने वाले हिंदू प्रत्याशियों से जाति के संबंध में न पूछा जाए. सिर्फ इतना ही पूछा जाये कि अनुसूचित जाति से हैं या नहीं. 1967 में जब वे मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने आदेश जारी किया कि जाति के नाम पर शिक्षण संस्थाओं का अनुदान बंद किया जाएगा.
किसानों का मसीहा बने चौधरी साहब
चरण सिंह किसानों के लिए एक मसीहा के रूप में थे. उन्होंने किसानों के लिए कर्ज माफी बिल पास कराया. इसके अलावा जमींदारी उन्मूलन, भूमि सुधार अधिनियम लागू करने, फसल उपज बढ़ाने को मिट्टी परीक्षण, भूमि सुधार अधिनियम लागू करने, किसानों को पटवारी राज से मुक्ति दिलाने, फसल उपज बढ़ाने को मिट्टी परीक्षण, कृषि को आयकर से बाहर रखने, नहर पटरियों पर चलने पर जुर्माना लगाने के ब्रिटिश काल कानून खत्म कराने जोत-बही दिलाने जैसे तमाम बड़े बेमिसाल काम किए थे.
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