आज पूरे विश्व में वर्ल्ड पल्स डे यानि ‘विश्व दलहन दिवस’ मनाया जा रहा है. इस दिवस की शुरुआत वैश्विक स्तर पर दालों के महत्व और उसके माध्यम से प्राप्त होने वाले पोष्टिक तत्वों को ध्यान में रखते हुए की गई थी. दालों का इस्तेमाल न केवल पोषण प्राप्त करने के लिए किया जाता है, बल्कि इसके माध्यम से भुखमरी और गरीबी को खत्म करने में भी सहायता मिलती है. दालें केवल भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी खानपान का अहम हिस्सा हैं. शकाहारी लोगों के लिए दालें ही प्रोटीन का सबसे बड़ा स्त्रोत माना जाता हैं. वर्ल्ड पल्स डे का उद्देश्य स्थायी खाद्य उत्पादन के हिस्से के रूप में दालों के पोषण के साथ ही पर्यावरणीय लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना है.
विश्व दलहन दिवस 2024 की थीम
बता दें कि सबसे पहले वर्ष 2016 में दलहन दिवस अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया गया था, जिसके लिए एक थीम भी चुनी गई थी. उसी दिन से इस दिवस को आने वाले प्रत्येक साल में एक नई थीम के साथ मनाया जा रहा है. वर्ष 2024 में विश्व दलहन दिवस की थीम “दालें: पौष्टिक मिट्टी और लोग” रखी गई है जिसका मतलब हैं स्वस्थ, मिट्टी और लोगों की कुंजी के रूप में दालों के बारे में जागरूकता फैलाना.
विश्व दलहन दिवस का उद्देश्य
सयुक्त राष्ट्र संघ दालों का उत्पादन बढ़ाकर दुनिया में गरीब और कुपोषित देशों को पोषक तत्वों से पूर्ण भोजन उपलब्ध करवाना चाहता है. क्योंकि दालों में भरपूर मात्रा में पोष्टिक तत्व पाए जाते हैं.
विश्व दलहन दिवस का इतिहास
बता दें कि, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 20 दिसंबर 2013 में प्रस्ताव से अंतर्राष्ट्रीय दलहन दिवस मानने का फैसला किया गया. ‘विश्व दलहन दिवस’ पहली बार साल 2016 में मनाया गया था. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2019 में 10 फरवरी को विश्व दलहन दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया. तब से हर वर्ष 10 फरवरी को दलहन दिवस मनाया जाता है.
आचार्य चरक ने बताया था दालों का महत्व
वहीं, हम अगर बात करें भारतीय भोजन की तो इसमें पौष्टिकता और विटामिन से भरपूर दालों का इतिहास काफी प्राचीन है. आयुर्वेद के जनक आचार्य चरक ने मरीजों को दाल और खिचड़ी खाने की सलाह दी थी, बौद्ध या जैन ग्रंथों में भी दाल का उल्लेख मिलता है. ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले मूंग की दाल भोजन में सम्मिलित हुई थी और धीरे-धीरे अन्य दालें भारतीयों के भोजन की शान बनती गईं. बता दें कि दालों में विटामिन और प्रोटीन होता है, एक अनुमान के अनुसार दालों में तीन से चार प्रतिशत तक प्रोटीन और विटामिन मिलता है, भारत जैसे देश में दालों से प्राप्त पौष्टिकता एक सामान्य व्यक्ति के लिए जीवन जीने का बड़ा आधार है.
हमारे जीवन में दालों का महत्व
-सेल्स की मरम्मत के लिए जरूरी
बता दें कि दालों में पाया जाने वाला प्रोटीन, आयरन और और मैग्निशियम हमें हेल्दी बनाने का काम करता है, यह हमारे शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत और नव निर्माण के लिए पर्याप्त रूप से तत्व प्रदान करती रहती हैं.
-एनीमिया से निजात के लिए दालें
दालों में भरपूर मात्रा में आयरन भी मौजूद होता है, आपके एनीमिया के विकास के जोखिम को भी बिल्कुल कम कर सकता है.
-पेट के लिए दालें
इन रंग बिरंगी दालों में फाइबर्स भी पाए जाते हैं जोकि इम्यूनिटी बढ़ाने से लेकर हर तरह के पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करते हैं. साथ ही यह पेट को स्वस्थ रखने का भी काम करते हैं.
-वजन को करती है मेंटेन
यह तो सब जानते हैं कि दालें प्रोटीन और फाइबर का एक अच्छा सोर्स हैं. ये उन लोगों के लिए फायदेमंद हैं जो वेट लॉस करने की चाह रखते हैं और उसके लिए कदम भी उठाते हैं. लो फैट होने के चलते यह एक्स्ट्रा कैलोरी इंटेक को रोकने मे मदद करती है. रोजाना एक कटोरी दाल खाने से सही मात्रा में ऊर्जा और पोषण मिल मिलते हैं, वो भी बिना कैलोरी जमा किए. यह आपके पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखती हैं, जिससे भूख कम लगती है.
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