नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि लोकसभा चुनाव से पहले पूरे देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू किया जाएगा. आइए जानते हैं क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम जो अक्सर सुर्खियों में छाया रहता है.
सीएए के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 के पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए इन तीन देशों से आए विस्थापितों को कोई दस्तावेज देने की भी आवश्यकता नहीं है.
बता दें कि संसद ने दिसंबर 2019 में संबंधित विधेयक को मंजूरी दी थी और बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी मिली. जिसके बाद इसके विरोध में देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे. सीएए को लेकर देश में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थीं. कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया था. उस समय केंद्र सरकार इसे लागू करने का मन बना चुकी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसमें देरी हुई.
विरोध में खूब हुए थे प्रदर्शन
बता दें कि उस दौरान सीएए को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. इस दौरान आरोप लगे थे कि इन विरोध प्रदर्शनों को कट्टर इस्लामिक संगठन और कुछ विपक्षी राजनीतिक दल हवा दे रहे थे. दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाएं धरने पर बैठी थीं, जो 15 दिसंबर 2019 से 9 फरवरी 2020 यानि 55 दिनों तक चला था. गत वर्ष भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया था कि सीएए को लागू होने से कोई रोक नहीं सकता है.
कानून लागू होते ही क्या बदल जाएगा?
इस कानून के अनुसार तीन पड़ोसी देशों, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी. जो लोग 31 दिसंबर 2014 तक किसी प्रताड़ना के चलते भारत आए हैं उनको नागरिकता मिलेगी. इसमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल होंगे. बता दें कि यह विधेयक 2016 में ही लोकसभा से पास हो गया था लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था. इसके बाद इसे 2019 में फिर से पेश किया गया. 10 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी थी. उसके बाद दो वर्ष कोरोना का ही प्रकोप रहा. अब 10 फरवरी 2024 को इसे लोकसभा चुनाव से पहले लागू करने की केंद्रीय गृहमंत्री ने घोषणा कर दी है.
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