कतर में मौत की सजा पाए आठ पूर्व भारतीय सैनिकों को दोहा की एक अदालत द्वारा रिहा कर दिया गया है. इनमें से 7 भारतीय भारत भी वापस आ चुके हैं. स्वदेश लौटे पूर्व सैनिकों ने इस जीत का श्रेय पीएम मोदी को दिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी नहीं होते तो वे स्वदेश नहीं लौट पाते.
बता दें कि पिछले वर्ष 1 दिसंबर को दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी के बीच बैठक के बाद पूर्व नौसैनिकों की सजा को कम किया गया था. यह सच्चाई है कि पीएम मोदी की इस रिहाई में बहुत बड़ी भूमिका रही है लेकिन इस सबके बीच एक ऐसे शख्स भी हैं जो पर्दे के पीछे से सैनिकों की रिहाई के लिए जी-जान से जुटे थे. वो शख्स हैं नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) अजीत डोभाल.
सूत्रों की मानें तो इन 8 भारतीयों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए भारत और कतर अधिकारियों के बीच कई अहम बैठकें हुई थीं. डोभाल ने स्वयं कतर अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं और इन 8 पूर्व नौसैनिकों की जेल की सजा खत्म करने पर भी लगातार जोर दिया. बताया गया कि अजीत डोभाल की कोशिशों के बाद ही कतर सरकार ने इन्हें रिहा का कदम उठाया.
सूत्र ने यह भी जानकारी दी कि भारत ने इस मामले में कूटनीतिक रूप से फूंक-फूंक कर कदम रखे. भारत की ओर से जब रिहाई की बात चल रही थी तो कतर के सामने यह समस्या आई कि वह सिर्फ एक देश के नागरिकों को कैसे रिहा करेगा और अन्य देशों के ऐसे अनुरोधों को कैसे नजरअंदाज करेगा. ऐसे में बाद में कतर ने भारत के प्रयासों से अमेरिका और रूस के एक-एक बंदी को भी रिहा करने का फैसला लिया.
बता दें कि सभी पूर्व भारतीय नौसैनिक अलदहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज और कंसेल्टेंसी सर्विसेज के साथ काम करने वाले पूर्व भारतीय सैनिकों को जासूसी के आरोप में पकड़ा गया था और फांसी सजा दी गई थी. इसके बाद अब भारत सरकार ने कानूनी मदद और कूटनीति के माध्यम से भारतीय सैनिकों को रिहा करवाया.
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