हिन्दू धार्मिक ग्रंथों और देवी-देवताओं पर बेहूदा बयान देकर सुर्खियां बटोरने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपने इस्तीफे को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लंबा चौड़ा पत्र लिखा है और इस्तीफे के कारणों को साझा किया है.
अपने इस्तीफे में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि पार्टी को जनाधार देने के लिए उन्होंने 2023 में जातिवार जनगणना, आरक्षण बचाने, बेरोजगारी व संविधान बचाने के लिए अखिलेश यादव को रथयात्रा निकालने का सुझाव दिया था, वहीं अखिलेश ने होली के बाद इस यात्रा को शुरू करने पर सहमति दिखाई थी. हालांकि, इस यात्रा को नजरअंदाज कर दिया गया.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, “मैंने ढोंग ढकोसला, पाखंड व आडंबर पर प्रहार किया तो भी यही लोग फिर इसी प्रकार की बात कहते नजर आये, हमें इसका भी मलाल नहीं, क्योंकि मैं तो भारतीय संविधान के निर्देश के क्रम में लोगों को वैज्ञानिक सोच के साथ खड़ा कर लोगों को सपा से जोड़ने की अभियान में लगा रहा, यहां तक कि इसी अभियान के दौरान, मुझे गोली मारने, हत्या कर देने, तलवार से सिर कलम करने, जीभ काटने, नाक-कान काटने, हाथ काटने आदि-आदि लगभग दो दर्जन धमकियाँ व हत्या के लिए 51 करोड़, 51 लाख, 21 लाख, 11 लाख, 10 लाख आदि भिन्न-भिन्न रकम देने की सुपारी भी दी गई, अनेको बार जानलेवा हमले भी हुए, यह बात दीगर है कि प्रत्येक बार में बाल-बाल बचता चला गया। उल्टे सत्ताधारियों द्वारा मेरे खिलाफ अनेको एफआईआर भी दर्ज कराई गई किंतु अपनी सुरक्षा की बिना चिंता किये हुए मैं अपने अभियान में निरंतर चलता रहा.”
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लिखे गए पत्र में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मैनें अपने तौर-तरीके से पार्टी का जनाधार बढ़ाना जारी रखा लेकिन भाजपा के जाल में फंसे लोगों को वापस लाने की कोशिश की तो पार्टी के कुछ छुटभइये नेता इसे मौर्य जी का निजी बयान बताने लगे. स्वामी ने आरोप लगाते हुए आगे कहा है कि मैं सपा का राष्ट्रीय महासचिव हूं लेकिन मेरा बयान निजी हो जाता है लेकिन अन्य राष्ट्रीय महासचिव के बयान पार्टी का बयान हो जाते हैं, ये हैरानी की बात है. स्वामी प्रसाद ने कहा कि यदि महासचिव के पद में भी भेदभाव है तो मैं इस पद का त्याग करता हूं.
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