महान फिल्मकार, गीतकार और उर्दू कवि गुलजार के साथ-साथ संस्कृत भाषा के विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है. पुरस्कार से जुड़े सेलेक्शन पैनल ने बताया कि गुलजार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 से नवाजा जाएगा.
गुलजार- फिल्मों से बनाई खास पहचान
हिंदी फिल्मों में अपने गीतों से इश्क का गुलशन महकाने वाले गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1936 पाकिस्तान में हुआ था. गुलजार का पूरा नाम संपूरण सिंह कालरा है. वे कवि, गीतकार और फिल्म निर्देशक हैं. विभाजन बाद गुलजार का परिवार भारत आ गया था. मुंबई में उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में कार मैकेनिक का काम किया. उन्होंने अभिनेत्री राखी से विवाह किया. उनकी पहली गीत ‘मोरा गोरा अंग लै ले’ बिमल राय की फिल्म बंदिनी से था. इसके अलावा उनकी बेहद लोकप्रिय ‘ऐ जिंदगी गले लगा ले, मासूम से तुझसे नाराज नहीं जिंदगी, खामोशी से हमने देखी हैं आंखों से, गोलमाल से आने वाला पल जाने वाला है, परिचय से मुसाफिर हूं यारों, थोड़ी सी बेवफाई से हजार राहें मुड़ के देखी जैसी अन्य नगमें हैं. कोशिश, परिचय, अचानक, आंधी, खुश्बू, मौसम, अंगूर, लिबास, माचिस, हू तू तू जैसे अनेक फिल्में भी बनाई. उन्हें फिल्म कोशिश, मौसम और इजाजत के लिए 3 नेशनल अवार्ड और 47 फिल्म फेयर अवार्ड मिले. इसके अलावा 2004 में पद्मभूषण, 2013 में दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित भी किया गया.
जगद्गुरु रामभद्राचार्य – 22 भाषाओं का ज्ञान, 100 से अधिक किताबों की रचना
जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूटधाम उत्तर प्रदेश के विख्यात विद्वान कवि, रचनाकार, शिक्षाविद, प्रवचनकार, दर्शनिक और हिन्दू धर्म गुरु हैं. रामभद्राचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में शास्त्रों के उद्धरण के साथ गवाही भी दी थी. उनका वास्तविक नाम गिरिधर मिश्र भी है, रामभद्राचार्य का जन्म 14 जनवरी 1950 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था. वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं. रामभद्राचार्य चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति भी हैं. इस विश्वविद्यालय में केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को ही स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री दी जाती है. जगद्गुरु दो महिने की उम्र में ही नेत्रहीन हो गए थे. अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का उपयोग नहीं किया. उन्होंने 80 से ज्यादा पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है. जगद्गुरु को सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है.
क्या होता है ज्ञानपीठ पुरस्कार?
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास की ओर से भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है. भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो, वह इस पुरस्कार के योग्य है. इस पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा जाती है. 1965 में प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था. उस समय पुरस्कार की धनराशि 1 लाख रुपए थी.
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