छत्रपति शिवाजी महाराज ने भारत को मुगलों के चंगुल से आजाद करा कर मराठा साम्राज्य की नींव रखी. शिवाजी का मुगलों के खिलाफ जंग का बिगुल बजाने की गौरव और शौर्य गाथा का देश में खास स्थान है, जो इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हैं. आज भी छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम बड़े ही गर्व और सम्मान से लिया जाता है.
शिवाजी ने मुगलों के खिलाफ बजाया युद्ध का बिगुल
हर वर्ष 19 फरवरी को देश में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है. उनका जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में मराठा परिवार में हुआ था. शिवाजी को शिवाजी भोंसले के नाम से भी जाना जाता था. उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था. शिवाजी का जन्म उस दौरान हुआ था, जब देश में मुगलों का आक्रमण चरम पर था. शिवाजी महाराज ने ही मुगलों के खिलाफ युद्ध का बिगुल बजाया था.
महज 15 वर्ष की उम्र में किया पहला आक्रमण
छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगलों के खिलाफ पहला आक्रमण तब किया था, जब उनकी उम्र महज 15 वर्ष थी. इस आक्रमण का उद्देश्य हिंदू साम्राज्य स्थापित करना था. इसे गोरिल्ला युद्ध की नीति कही जाती थी. शिवाजी ने युद्ध की इस नई शैली को उजागर किया. गोरिल्ला युद्ध का मुख्य उद्देश्य- ‘मारो और भाग जाओ’ था. शिवाजी ने बीजापुर पर हमला किया और गोरिल्ला युद्ध नीति व अपनी कुशल रणनीति से बीजापुर के शासक आदिलशाह को हरा दिया. इस जंग में जीत हासिल करने के बाद चार महलों पर भी कब्जा कर लिया था.
शिवाजी महाराज का वैवाहिक जीवन
14 मई 1640 में, शिवाजी का विवाह सइबाई निंबाळकर (सई भोसले) के साथ लाल महल, पुणे में हुआ था. सईबाई भोसले शिवाजी की पहली और प्रमुख पत्नी थीं. शिवाजी की कुल 8 रानियां थी. वैवाहिक राजनीति के माध्यम से उन्होंने सभी मराठा सरदारों को एक छत्र के नीचे लाने में सफलता हासिल की.
1674 में शिवाजी का हुआ राज्याभिषेक
छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1674 में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की भी नींख रखी. इसके लिए उन्होंने मुगल साम्राज्य के शासक औरंगजेब से युद्ध किया. इसी वर्ष उनका राज्याभिषेक हुआ और वह छत्रपति बनें. लेकिन 3 अप्रैल 1680 को गंभीर बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई. लेकिन उनके योगदान को हमेशा याद किए जाते रहेंगे. शिवाजी के बाद उनके पुत्र संभाजी ने राज्य का बागडौर संभाला.
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