असम सरकार ने समान नागरिक कानून (UCC) की तरफ पहला कदम बढ़ा दिया है. मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने मुस्लिम मैरिज और डिवोर्स एक्ट 1930 को खत्म करने का फैसला लिया. शुक्रवार (23 फरवरी) को कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. अब असल में सभी शादियां स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत की जाएंगी. सरकार के अनुसार, बाल विवाह को रोकने के मकसद से सरकार ने ये बड़ा कदम उठाया है.
सीएम हेमंता बिस्वा सरमा की कैबिनेट ने फैसला लिया है कि मुस्लिम मैरिज और डिवोर्स एक्ट के मामलों से जुड़े 94 लोगों को एकमुश्त 2 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा.
असम सरकार ने बहुविवाह रोकने के लिए कानून बनाने की तैयारी बहुत पहले से कर ली थी. राज्य सरकार ने इसके लिए हाईकोर्ट के रिटायर जज वाली एक स्पेशल कमिटी बनाई थी. कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लाम में मुस्लिम पुरुषों की चार महिलाओं से शादी की परंपरा अनिवार्य नहीं है. सरमा ने इस रिपोर्ट पर कहा था कि सभी सदस्यों की सर्वसम्मत राय है कि असम राज्य के पास बहुविवाह को समाप्त करने के लिए कानून बनाने की विधायी क्षमता है. असम सरकार अनुच्छेद 254 के तहत इस पर कानून बना सकती है.
आपको बता दें कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के लागू होने के बाद हिंदुओं, बौद्धों और सिखों के बीच बहुविवाह को समाप्त कर दिया गया, ईसाइयों के बीच ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 द्वारा और पारसियों के बीच पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 द्वारा बहुविवाह को समाप्त कर दिया गया. हालांकि, बहुविवाह अभी भी जारी है.
सीएम सरमा ने फरवरी 2023 में कहा था कि हमारा रुख स्पष्ट है, असम में बाल विवाह को खत्म करना चाहिए. तो वहीं बाल विवाह के खिलाफ नया कानून लाने को कहा था और कहा थी कि 2026 तक हम बाल विवाह के खिलाफ नए कानून लाने पर विचार कर रहे हैं, जहां जेल की अवधि दो साल से बढ़ाकर 10 साल की जाएगी.
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