कर्नाटक सरकार ने विधानसभा में हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) पारित करा लिया था, लेकिन विधान परिषद में शुक्रवार को ये विधेयक खारिज हो गया है. इस संशोधित विधेयक में कहा गया था कि एक करोड़ रुपये से ज्यादा के राजस्व वाले मंदिरों से सरकार उनकी आय का 10 प्रतिशत टैक्स वसूल करेगी. राज्य सरकार के इसी फैसले को लेकर विपक्षी दल बीजेपी, सिद्धारमैया सरकार पर लगातार हमलावर है.
विधानसभा में पारित होने के बाग भी, हिंदू धार्मिक विधेयक को विधान परिषद में विरोध का सामना करना पड़ा. बंदोबस्ती विभाग के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने परिषद में विधेयक पेश किया, जिससे बीजेपी और कांग्रेस सदस्यों के बीच तीखी बहस छिड़ गई. आखिरकार उपसभापति ने ध्वनिमत से मतदान कराया.
बता दें कि राज्य के ऊपरी सदन में बीजेपी और जनता दल सेकुलर (जेडीएस) बहुमत में है. इस विधेयक पर फैसला लेने के लिए ध्वनिमत कराया गया था और इसके पक्ष में सिर्फ 7 ही वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 18 वोट पड़े. कर्नाटक विधान परिषद में बीजेपी के 34, कांग्रेस के 28 और जेडीएस के आठ सदस्य हैं.
इससे पहले बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार हिंदू विरोधी नीतियां अपना रही है और इसमें हिंसा, धोखाधड़ी और धन का दुरुपयोग होना तय है. हालांकि राज्य सरकार ने सारे आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि केवल एक करोड़ से अधिक राजस्व वाले मंदिरों से 10 प्रतिशत धनराशि ली जाएगी.
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