6 दिसंबर 1992 अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद साल 1993 में लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, कोटा, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे और अब इस मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया है. गुरुवार (29 फरवरी) को इस मामले में 3 आरोपियों को टाडा कोर्ट में पेश किया गया था. जहां कोर्ट ने 2 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो वहीं इस मामले के मास्टरमाइंड कहे जाने वाला अब्दुल करीम टुंडा सबूतों के अभाव में बरी हो गया.
साल 2013 में नेपाल बॉर्डर से हुआ था गिरफ्तार
1993 सीरियल बम ब्लास्ट का मास्टरमाइंड अब्दुल करीम टुंडा को साल 2013 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था. टुंडा के खिलाफ देश के विभिन्न जगहों पर आतंकवाद से जुड़े मामले दर्ज हैं. कथित तौर पर टुंडा के खिलाफ भारत में आतंकवाद की जड़ो को मजबूत करने के लिए युवा को प्रशिक्षण देने का भी आरोप लग चुका है.
टुंडा कथित तौर पर पाकिस्तान के जुनैद के साथ मिलकर 1998 में गणेश उत्सव के दौरान आतंकी हमला करने की योजना बनाने में भी संलिप्त रहा था. आतंकी गतिविधियों से पहले टुंडा कबाड़ का काम करता था. हालांकि, 80 के दशक में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आने बाद से ये आतंकवाद के रास्ते पर निकल पड़ा था.
अपने से 47 साल छोटी लड़की से रचाई तीसरी शादी
गौरतलब है कि अब्दुल करीम टुंडा ने तीन शादियां रचाई है. टुंडा ने अपनी तीसरी शादी बांग्लादेश में 65 साल की उम्र में अपने से 47 साल छोटी एक 18 वर्षीय लड़की के साथ रचाई थी.
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