1993 सीरियल बम ब्लास्ट का मास्टरमाइंड अब्दुल करीम टुंडा को अजमेर की टाडा कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. गुरुवार (29 फरवरी) को इस मामले में 3 आरोपियों को टाडा कोर्ट में पेश किया गया था.
जहां कोर्ट ने 2 आरोपियों, इरफान और हमीदुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो वहीं इस मामले के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले अब्दुल करीम टुंडा सबूतों के अभाव में बरी हो गया. दिल्ली में जन्मा अब्दुल करीम टुंडा के कबाड़ बेचने से लेकर, बम बनाने तक और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के संपर्क में आने तक आइए जानते हैं पूरी कुंडली के बारे में.
दिल्ली के दरियागंज में जन्मा था टुंडा
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ था और इसके बाद साल 1993 में लखनऊ, कानपुर, सूरत, कोटा हैदराबाद और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे. इस सीरियल बम ब्लास्ट में अब्दुल करीम टुंडा का नाम सामने आया था. टुंडा का जन्म राजधानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में हुआ था. हालांकि, ये गाजियाबाद के पिलखुवा में पला बढ़ा. 1980 तक टुंडा कबाड़ का काम करता था. हालांकि, राम मंदिर आंदोलन के बाद से अब्दुल करीम टुंडा आंतकी संगठनों के संपर्क में आकर पाकिस्तान चला गया. जहां आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आने बाद से ये आतंकवाद के रास्ते पर निकल पड़ा था.
अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का बना खास
टुंडा के खिलाफ देश के विभिन्न जगहों पर आतंकवाद से जुड़े मामले दर्ज हैं. कथित तौर पर टुंडा के खिलाफ भारत में आतंकवाद की जड़ो को मजबूत करने के लिए युवा को प्रशिक्षण देने का भी आरोप लग चुका है. टुंडा कथित तौर पर पाकिस्तान के जुनैद के साथ मिलकर 1998 में गणेश उत्सव के दौरान आतंकी हमला करने की योजना बनाने में भी संलिप्त रहा था और इस दौरान अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का खास बन गया था.
साल 2013 में नेपाल बॉर्डर से हुआ था गिरफ्तार
साल 2000 से लेकर 2005 तक अब्दुल करीम टुंडा को लेकर कई बार अफवाह फैली जिसमें उसके मारे जाने की बात कही गई. हालांकि, जब साल 2005 में अब्दुल रजाक पकड़ा गया तब जाकर खुलासा हुआ कि अब्दुल करीम टुंडा अभी जिंदा है और जम्मू-कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा को फैलाने का काम कर रहा है. कई सालों से पुलिस को टुंडा की तलाश थी लेकिन ये पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था लेकिन साल 2013 में नेपाल बॉर्डर से सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
बम बनाने के दौरान गंवा दिया था हाथ
जानकारी के लिए बता दें कि 1986 में अब्दुल करीम टुंडा ने बम बनाने के दौरान अपना हाथ गंवा दिया था. जिसके बाद से उसका नाम टुंडा (अपंग) पड़ गया था.
65 साल की उम्र में 18 वर्षीय लड़की से की थी तीसरी शादी
अब्दुल करीम टुंडा ने तीन शादियां रचाई है. टुंडा ने अपनी तीसरी शादी बांग्लादेश में की थी. जी हां 65 साल की उम्र में टुंडा ने एक 18 वर्षीय बांग्लादेशी लड़की के साथ शादी रचाई थी.
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