लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ने पार्टी के बैंक खातों के खिलाफ विभाग की कार्रवाई को रोकने के लिए कांग्रेस की याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया. आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ने कांग्रेस पार्टी द्वारा दायर की गई उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आयकर विभाग की तरफ से उनके बैंक खातों की वसूली और फ्रीजिंग की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
कांग्रेस की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तमखा ने आदेश को 10 दिनों के लिए स्थगित रखने का अनुरोध किया था ताकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सके. हालांकि, पीठ ने इसे अस्वीकार कर दिया और कहा कि हमारे सामने ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
यह पूरा मामला 2018-2019 के इनकम टैक्स रिटर्न से जुड़ा है. आयकर विभाग ने कांग्रेस से पैनल्टी के तौर पर 210 करोड़ की रिकवरी की मांग की है. दरइसल 2018-19 एक चुनावी वर्ष था. उस चुनावी वर्ष में, कांग्रेस ने 199 करोड़ रुपए खर्च किए थे, जिसमें से 14 लाख 40 हजार रुपए कांग्रेस के सांसद और विधायकों ने अपने वेतन का हिस्सा जमा करवाया था. ये पैसा कैश में जमा किया गया था, जिसकी वजह से आयकर विभाग ने कांग्रेस पर 210 करोड़ रुपए की पैनल्टी लगा दी है.
सुनवाई के दौरान वकील तन्खा ने विचार प्रस्तुत किया कि राजनीतिक दलों को अपने अभियान के वित्तपोषण के लिए संसाधनों की आवश्यकता होती है, और इसके लिए वे राजनीतिक दल फंड के लिए विवश होते हैं. उनके मुताबिक, यदि पार्टी आगामी चुनाव में केवल 350 सीटों पर चुनाव लड़ती है, तो प्रत्येक उम्मीदवार के खर्च का 50 प्रतिशत वहन किया जा सकता है, जो एक महंगा मामला साबित हो सकता है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार 95 लाख रुपये तक के खर्च को संभव रूप से कर सकता है.
आईटी ने तर्क दिया कि राजनीतिक दल के पास 657 करोड़ रुपये का कोष, 340 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति के अलावा 380 करोड़ रुपये की नकद है. उन्होंने इससे यह तर्क भी दिया कि इससे आगामी चुनावों में कांग्रेस की गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, इसलिए मांग पर रोक लगाने की जरूरत नहीं है.
16 फरवरी को, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता अजय माकन ने आरोप लगाया कि पार्टी और यूथ कांग्रेस के चार बैंक खातों को आयकर विभाग ने फ्रीज कर दिया है, और 2018-19 के आयकर रिटर्न केस के संदर्भ में 210 करोड़ रुपये की मांग की गई है. बाद में, तन्खा ने कहा कि आईटीएटी ने कांग्रेस को यह कहते हुए बैंक खाता संचालित करने की अनुमति दी थी कि उन पर केवल ग्रहणाधिकार होगा. हालांकि, आईटी विभाग ने तर्क दिया कि उसने कांग्रेस के बैंक खातों में लेन-देन पर रोक लगाने के लिए बैंकों को आदेश जारी नहीं किया था. उन्होंने आईटी पर पार्टी के खातों से 65 करोड़ रुपये निकालने का भी आरोप लगाया था.
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