आरजेडी नेता सुभाष यादव को प्रवर्तन निदेशालय ने अरेस्ट कर लिया है. शनिवार को दिनभर चली छापेमारी के बाद उनको गिरफ्तार किया गया है. स्थानीय अदालत में पेशी के बाद उनको न्यायिक हिरासत में बेऊर जेल में भेज दिया गया है.
दरअसल, शनिवार को ईडी ने सुभाष यादव के 6 ठिकानों पर छापे मारे थे. इसमें उनके करीबी सहयोगियों के परिसर भी शामिल हैं. तलाशी के दौरान 2.30 करोड़ से ज्यादा की नगदी और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए हैं. जिसके बाद शनिवार देर रात सुभाष यादव को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके साथ ही अकूत संपत्ति से जुड़े कई दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं.
जानकारी के अनुसार सुभाष यादव ब्रॉडसॉन्स लिमिटेड कंपनी में डायरेक्टर हैं. इस कंपनी पर 250 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है. इसी को लेकर दानापुर के नारियल घाट स्थित उनके आवास के अलावा नासरीगंज, शाहपुर, यदुवंशी नगर, मनेर में हल्दी छपरा और पटना के गोला रोड और बोरिंग कैनाल रोड स्थित उनके दफ्तर में शनिवार सुबह से लेकर शाम तक छापेमारी चली. पहले भी उनके खिलाफ जांच एजेंसी ने छापे मारे थे.
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि 9 मार्च को ईडी ने अवैध रेत खनन मामलों के संबंध में सुभाष यादव और उनके करीबी सहयोगियों के 6 परिसरों पर तलाशी अभियान चलाया. ईडी ने मेसर्स ब्रॉडसंस कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड (बीसीपीएल) और उसके निदेशक के खिलाफ बिहार पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज कराई है. 20 एफआईआर के आधार पर पीएमएलए जांच शुरू की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वे ई-चालान का उपयोग किए बिना रेत के अवैध खनन और बिक्री के काम में सनलिप्त हैं.
पीएमएलए के तहत जांच से पता चला है कि रेत की अवैध बिक्री से 161 करोड़ रुपये का पीओसी उत्पन्न हुआ है. रेत की अवैध बिक्री को एक सिंडिकेट द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो कंपनी में धन निवेश करता है और रेत की अवैध बिक्री के माध्यम से लाभ कमाता है, जो पीओसी के अलावा और कुछ नहीं है.
बता दें कि इससे पहले इस मामले में सिंडिकेट सदस्य राधा चरण साह, उनके बेटे और बीएसपीएल के निदेशकों को ईडी पीएमएलए के तहत गिरफ्तार कर चुकी है. बालू कारोबारी सुभाष यादव को आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव का बेहद करीबी माना जाता है. वह 2019 में झारखंड के चतरा से राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं. हालांकि उन्हें बीजेपी कैंडिडेट से हार का सामना करना पड़ा.
कमेंट