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CAA : राजस्थान के 35 हजार लोगों को भारतीय नागरिकता मिलने की खुली राह

केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की अधिसूचना सोमवार को जारी कर दी है. इसके साथ यह कानून देशभर में लागू हो गया है. सीएए के लागू होने से पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा. इसमें राजस्थान भी लाभान्वित होगा.

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Mar 12, 2024, 06:50 am IST
CAA: Open path for 35 thousand people of Rajasthan to get Indian citizenship
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जयपुर: केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की अधिसूचना सोमवार को जारी कर दी है. इसके साथ यह कानून देशभर में लागू हो गया है. सीएए के लागू होने से पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा. इसमें राजस्थान भी लाभान्वित होगा. यहां के विभिन्न जिलों में पाक, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थी रह रहे हैं.

राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में रह रहे करीब 35 हजार से ज्यादा लोग सीएए की अधिसूचना का इंतजार कर रहे थे. ये वे लोग हैं जो पाकिस्तान से राजस्थान के विभिन्न जिलों में आकर शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं और बरसों से भारत की नागरिकता की बाट जोह रहे हैं. पाकिस्तान की सीमा से सटे जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर में पाकिस्तान से पलायन करके आए हिंदू बड़ी संख्या में रहते हैं. अकेले जोधपुर में 18 हजार रजिस्टर्ड पाकिस्तानी हिंदू रह रहे हैं, जो कई वर्षों से भारत की नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं. पाकिस्तान में होने वाले उत्पीड़न से परेशान होकर लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत आए ये लोग लंबे समय से भारत की नागरिकता का इंतजार कर रहे थे.

नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत तीन पड़ोसी देश बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी जानी है. कानून के तहत दिसंबर 2014 से पहले से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी. सीएए को दिसंबर 2019 में संसद ने मंजूरी दी थी. इसके चार साल बाद इसे लागू किया गया है. सीएए नियम जारी किए जाने के बाद अब 31 दिसंबर 2014 तक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता दी जा सकेगी.

सीमावर्ती जिलों में पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों की नागरिकता के लिए लंबे समय से काम कर रहे सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा का कहना है कि सीएए के लागू होने से हमारी बहुत सी समस्याएं खत्म हो जाएंगी. सोढ़ा का कहना है कि हम अपनी ओर से प्रक्रिया को सरल बनाने के कई सुझाव सरकार को दे चुके हैं, अब देखना यही है कि सरकार क्या नियम और उपनियम लेकर आती है, क्योंकि कानून तो बनने के बाद नियमों की जटिलता के कारण इन्हें लागू करना मुश्किल हो जाता है. राजस्थान में आए हिंदू शरणार्थियों में से ज्यादातर ऐसे हैं, जिनके पास दस्तावेज पूरे हैं और सीएए लागू होने के बाद उन्हें नागरिकता मिलने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी. सोढ़ा का कहना है कि ज्यादातर लोगों के पास पूरे दस्तावेज हैं, लेकिन जिनके पास नहीं हैं, उनके बारे में भी हमने सरकार को सुझाव दिए हुए हैं और उम्मीद है कि सरकार उन पर काम करेगी. उन्होंने कहा कि कानून लागू होने के बाद सरकार को विशेष शिविर लगाकर नागरिकता देनी चाहिए ताकि यह काम जल्द से जल्द पूरा हो सके. उनका कहना है कि दिसंबर 2014 के बाद भी बड़ी संख्या में इन देशों से लोग भारत में आए हैं. उनके लिए भी नियम-उप नियमों में प्रावधान होने चाहिए. साथ ही, उन्हें भी अधिसूचित किया जाना चाहिए.

सोढा का कहना है कि इस प्रावधान से सात साल की जगह छह साल में नागरिकता मिल जाएगी. इसका हम स्वागत करते हैं. हमने सरकार के मांगने पर सुझाव दिया था कि इसमें समय की बाध्यता नहीं रखें, क्योंकि 31 दिसंबर 2014 के बाद भी हजारों लोग पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आए हैं और यह क्रम लगातार जारी भी है. ऐसे में एक जनवरी 2015 से अभी तक आने वालों के लिए भी जल्द नागरिकता देने के प्रावधान करने होंगे. ऐसे लोगों के लिए नागरिकता की लंबी प्रक्रिया में उलझने का दर्द खत्म नहीं होगा. इसे खत्म करने के लिए स्थाई मैकेनिज्म बनाना जरूरी है. सरकार चाहे तो लागू करते समय इसके नियमों में प्रावधान कर सकती है.

सोढा ने बताया कि पाकिस्तान से वाघा बॉर्डर के रास्ते धार्मिक यात्रा पर आ रहे हिंदू हरिद्वार जाने के बाद सीधे जोधपुर या जैसलमेर आते हैं. जोधपुर में चौखा और काली बेरी के आस-पास पथरीली जमीन पर झोपड़ियां बनाकर रहते हैं. दैनिक कमठा मजदूरी से इनका काम चलता है और समय गुजरने के बाद दूसरी बस्तियों में चले जाते हैं. राजीव गांधी नगर के पास ऐसे सैंकड़ों परिवार झोंपड़ियों में रहते हुए देखे जा सकते हैं. पाकिस्तान में अपना घर बार छोड़कर आने वालों को सिर्फ इतना ही सुकून होता है कि वे यहां सुरक्षित हैं. भारत से लगते पाकिस्तान के सिंध के इलाके में ज्यादातर हिंदू भील और मेघवाल समाज के हैं. उनको वहां किसी तरह की सुविधाएं नहीं मिलती हैं. नागरिकता मिलने के बाद इनको भारत के कानून के अनुसार एससी व एसटी होने से आरक्षित वर्ग की सुविधाएं मिल सकेंगी. नागरिकता के बाद जाति प्रमाण पत्र जारी होता है, जिसके माध्यम से इनके बच्चे भी आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे. यही व्यवस्था ओबीसी में भी लागू होती है.

निमित्तेकम संस्था के जय आहूजा का कहना है कि 1955 के नागरिकता कानून में जल्दी नागरिकता देने का प्रावधान था. लेकिन, उनमें पूरे परिवार को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है. अब सीएए की अधिसूचना जारी होने के बाद इन देशों से आए लोगों को नागरिकता मिलने का रास्ता प्रशस्त हो सकेगा.

साभार – हिन्दुस्थान समाचार

Tags: RajasthanCAACitizenship Amendment Act
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