इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अब बॉन्ड से जुड़े सभी आंकड़े चुनाव आयोग के पास जमा करा दिए हैं. एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा की तरफ से इसकी जानकारी के साथ सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविड भी जमा कराया गया है. इसके अंदर कई ऐसी जानकारियां सामने आई है जो देश में कुल कितने इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीदी को समझने में मदद करेंगी. इसमें अब चुनाव आयोग के ऊपर मामले से जुड़े सभी आंकड़ों को 15 मार्च 2024 की शाम 5 बजे तक सार्वजनिक करके के लिए कहा गया है.
कैश नहीं हुए कुल 187 बॉन्ड
सुप्रीम कोर्ट में जमा किए गए एफिडेविट में बताया गया है कि अभी तक देश में कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए हैं. वहीं एसबीआई के डेटा के मुताबिक खरीदे गए कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड में से 22,030 बॉन्ड ही राजनीतिक पार्टियों ने कैश करवाए हैं. इसका अर्थ है कि कुल 187 बॉन्ड ऐसे रहे जिनका चंदा किसी भी दल को नहीं मिला. ऐसे में चुनावी बॉन्ड से जुड़े नियमों के मुताबिक इन 187 बॉन्ड की राशि को प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कर दिया गया.
यहां आपको बता दें कि इससे दान देने वाले की टैक्स लायबिलिटी पर कोई प्रभाव नहीं होता है. चुनाव आयोग की तरफ से मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को चंदा या दान देने पर दानदाता को उतनी राशि पर 100 प्रतिशत टैक्स की छूट मिलती है. उसी प्रकार से प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा हुई राशि पर भी आयकर कानून के तहत 100 प्रतिशत टैक्स में छूट मिलती है.
क्या है पूरा मामला?
इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सर्वोच्च न्यायलय की ओर से सख्त रूप अपनाते हुए 15 फरवरी को इसे असंवैधानिक घोषित किया गया था. इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में दिए गए ‘सूचना के अधिकार’ का उल्लंघन माना गया. एसबीआई को केस से जुड़े सभी आंकड़े 6 मार्च तक चुनाव आयोग को सौंपने के लिए कहा था. हालांकि बाद में एसबीआई ने 30 जून तक का वक्त मांगा था. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई की और 12 मार्च तक दस्तावेज जमा कराने के लिए कहा था.
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