कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे बम ब्लास्ट मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. कैफे में ब्लास्ट के आरोपी हमलावर का ISIS से कनेक्शन सामने आया है. पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि हिंदू नेता आतंकी संगठनों के निशाने पर थे. चार साल पहले भी ब्लास्ट की कोशिश की गई थी, लेकिन टारगेट विफल रहा था. इस बीच एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है. इस मामले में अब्दुल मतीन, मुसाफिर हुसैन और सैयद अली अभी भी फरार हैं. पुलिस और एनआईए को शक है कि इन्होंने ही बेंगलुरु में ब्लास्ट को अंजाम दिया है.
पुलिस को जानकारी मिली है कि शहर में शांति भंग करने की नियत से और बेंगलुरु दहलाने की साजिश के तहत बम विस्फोट किया गया था. आशंका है कि हिंदू नेताओं को निशाना बनाकर विस्फोट किया गया था. पुलिस ने चार साल पहले सुद्दागुंटेपाल्या में तीनों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में ब्लास्ट के आरोपी हमलावर का अब तक पता नहीं चल सका है, लेकिन एक-एक कर सुराग खुलते जा रहे हैं कि उन्होंने किस दिशा में यात्रा की इसकी जानकारी मिल गई है. खास तौर पर एनआईए को गुप्त सूचना मिली थी कि जिसने बम ब्लास्ट किया है. उससे आरोपी का संपर्क था.
एनआईए कल सुबह 4 बजे बेल्लारी में दाखिल हुई. टैंक बंडू रोड निवासी शब्बीर को गिरफ्तार किया गया. उन्हें बेंगलुरु लाया गया और पूछताछ की गई. पता चला है कि तोरागल्लू के पास एक नामी निजी कंपनी में काम करने वाला शब्बीर आतंकी के संपर्क में था.
आशंका है कि तीन और लोगों ने हमलावर की मदद की. एनआईए ने सैयद अली, मास्टरमाइंड अब्दुल मतीन और मुजफ्फर हुसैन की तलाश की है. सैयद अली एक तकनीशियन है जिस पर संदेह है कि उसने डार्क वेब के माध्यम से कच्चा माल इकट्ठा किया और बम बनाया. धमाके वाले दिन मुजफ्फर बेंगलुरु में था.
दूसरी ओर, रामेश्वरम कैफे बम विस्फोट मामला गहराता जा रहा है. एनआईए अधिकारियों की एक टीम पहले से ही बेल्लारी में है और हमलावर की गतिविधि का पता लगा रही है.
रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले की जांच में कैफे में आरोपी के आगमन और निकास के दर्जनों सीसीटीवी फुटेज से संदिग्ध की पहचान कर ली गई है. इसके साथ ही 2020 और 2023 के बीच राज्य पुलिस और एनआईए द्वारा ISIS के शिवमोग्गा मॉड्यूल के सदस्य का भंडाफोड़ किया गया. शिवमोग्गा मॉड्यूल के दो लापता संदिग्ध अब्दुल ताहा मथीन और मुसाविर हुसैन शाजिब, रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में मुख्य संदिग्ध के रूप में उभरे हैं.
हालांकि, जांचकर्ताओं को अभी तक मुख्य संदिग्ध के स्थान या कैफे हमले में सहयोगियों की पहचान के सबूत नहीं मिले हैं, क्योंकि समूह ने ऑपरेशन के दौरान गुप्त संचार और पहचान रणनीति अपनाई थी.
हालांकि सीसीटीवी फुटेज में रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले का संदिग्ध कैफे में एक सेल फोन का उपयोग करता हुआ प्रतीत होता है, लेकिन जांच में अभी तक कैफे क्षेत्र के सेल डेटा से संदिग्ध के सेल फोन के सबूत नहीं मिले हैं.
इन सबके बीच, शहर के कुंडलाहल्ली के पास रामेश्वरम कैफे खुल गया है. रामेश्वरम कैफे के मालिक दिव्या राघवेंद्र राव ने कहा कि इस घटना से भारतीयों के आत्मविश्वास में कोई कमी नहीं आई है. आप सभी के सहयोग से रामेश्वरम कैफे फिर से खुल रहा है, यह इसका प्रमाण है. उन्होंने कहा कि यही असली भारतीयों की ताकत है.
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