इस्लामाबाद: बलोच यकजहती कमेटी प्रतिनिधि डॉ. महरंग बलोच ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बलूचिस्तान में गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों का संज्ञान लेकर उसे खत्म करने की दिशा में हस्तक्षेप करने की अपील की. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद् के 55वें सत्र के दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बलूचिस्तान के लिए स्टैंड लेने की अपील की.
डॉ. महरंग बलूच ने एक्स पर साझा की गई पोस्ट में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि बलोच यकजहती कमेटी एक समूह है जो बलोच लोगों के अधिकारों की हिमायत करता है. यूएनएचआरसी में डॉ. महरंग ने सिलसिलेवार तरीके से बताया कि उनके पिता को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने गायब कर दिया और हिरासत में मार डाला. उनका छोटा भाई भी गायब कर दिया गया और महीनों तक यातनाएं झेलता रहा. हालांकि उन्होंने कहा कि वे अपने परिजनों के लिए नहीं बल्कि बलोच लोगों के प्रतिनिधि के रूप में उस व्यथा को रख रही हैं जिन्होंने लंबे समय तक अकल्पनीय पीड़ा सही है.
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बलूचिस्तान में हस्तक्षेप का अनुरोध किया. डॉ. महरंग बलूच ने कहा कि बलूचिस्तान के लोगों के साथ अमानवीयता, रातोंरात गायब किए जाने, न्याय प्रणाली को दरकिनार कर हत्या, फर्जी मुठभेड़ जैसे मामले हो रहे हैं. उनका आरोप है कि सत्ता प्रतिष्ठान की तरफ से बलूचिस्तान में धीमी गति से नरसंहार चल रहा है जिससे उनका पूरे समुदाय खतरे में है. उनका कहना है कि बलोच लोगों ने दशकों से पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान के उनके इलाके में किए गए मानवाधिकार उल्लंघन का लगातार विरोध किया है. इसलिए अब संयुक्त राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी बलूचिस्तान के लिए स्टैंड लेना चाहिए.
उल्लेखनीय है डॉ. महरंग बलोच बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के खिलाफ लगातार आवाज उठाती रही हैं. 1993 में बलूच परिवार में जन्मी महरंग ने एमबीबीएस की पढ़ाई की है. उनके पिता का नाम अब्दुल गफ्फार था जो की एक मजदूर थे. फरवरी 2009 उनके पिता को अस्पताल जाते वक्त किडनैप कर लिया गया था. इसके करीब दो साल उनकी लाश मिली. जब उसका पोस्टमार्टम कराया गया तब पता चला कि उन पर काफी अत्याचार किया गया था, जिस वजह से उनकी मौत हुई. डॉ. महरंग के परिवार पर अत्याचारों का सिलसिला खत्म नहीं हुआ था. पिता की मौत के 8 साल बाद यानी 2017 में उनके भाई को भी अगवा कर लिया गया और करीब 3 महीने तक हिरासत में रखा. डॉ. महरंग ने छोटी उम्र से ही पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया था. आगे चलकर वे बलूचिस्तान में विरोध का बड़ा चेहरा बन गईं.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार
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