लोकसभा चुनाव के बीच भ्रष्टाचार के मामले में चौतरफा घिरी छत्तीसगढ़ कांग्रेस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और इसी कारण पार्टी अब बैकफुट पर नजर आ रही है. विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस की मुश्किलें अब और भी बढ़ गई हैं. दरअसल, महादेव आनलाइन सट्टा एप मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ FIR होने के बाद प्रदेश में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है.
लोकसभा चुनाव के लिए चल रही सभाओं व जनसंपर्क अभियान के दौरान भाजपा लगातार इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है. विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने कुछ इसी तरह से भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया था.
महादेव एप मामला समेत कोयला घोटाला, शराब घोटाला, चावल घोटाला, डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड घोटाले में कई कांग्रेसियों के नाम आने के बाद पार्टी कठिन दौर से गुजर रही है. कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में भूपेश की मुश्किलें बढ़ने के साथ-साथ पार्टी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
एक तरफ जहां महादेव एप मामले में भूपेश कटघरे में हैं, तो वहीं कोयला घोटाला मामले में कांग्रेस के विधायक देवेंद्र यादव समेत कई नेताओं की जमानत याचिका खारिज हो चुकी है.
देवेंद्र को कांग्रेस छत्तीसगढ़ के बिलासपुर लोकसभा से प्रत्याशी बनाने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व मंत्री कवासी लखमा समेत अन्य विधायकों पर भी भ्रष्टाचार के मामले की जांच छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) कर रही है.
ईडी की जांच के बाद प्रदेश में 2,161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में 35 व्यक्तियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है. ईडी की जांच में कांग्रेस के बड़े नेताओं में पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, कांग्रेस के पूर्व विधायक यूडी मिंज, पूर्व मंत्री कवासी लखमा, सेवानिवृत्त आइएएस अनिल टुटेजा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, कारोबारी अनबर ढेबर समेत अन्य आइएएस-आइपीएस अधिकारियों के नाम शामिल हैं.
ईडी ने 540 करोड़ रुपये के कोयला घोटाले में कुल 70 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. इसमें कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव, कांग्रेस नेता विनोद तिवारी और कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह, पूर्व विधायक चंद्रदेव राय समेत पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड के नाम शामिल हैं. ईडी के अनुसार कोयले के परिवहन को लेकर अधिकारियों, कारोबारियों और राजनेताओं का गठजोड़ था, जो प्रति टन 25 रुपये वसूलता था. ये घोटाला भूपेश बघेल सरकार के समय उजागर हुआ.
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