दिल्ली को एक बार फिर से सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले राजधानी शहर के रूप में दर्ज किया गया है. ऐसे में दिल्ली के सर्वाधिक प्रदूषित राजधानी होने को लेकर एलजी वीके सक्सेना ने सीएम अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है. उन्होंने वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों पर नाखुशी जताई है. उन्होंने कहा कि अगर आप कोई ठोस कदम नहीं उठाते हैं तो मैं दिल्लीवालों के लिए मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता.
उन्होंने पत्र में कहा है कि 2022 में दिल्ली दुनिया की दूसरी सबसे प्रदूषित राजधानी थी और 2021 में दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी थी. मुझे यकीन है कि आपकी सरकार के नौ वर्षों का यह रिपोर्ट कार्ड ऐसा नहीं है, जिस पर आपको गर्व होगा. आपका बहुचर्चित दिल्ली मॉडल धुंध की धुंध में डूबा हुआ है.
आपको याद दिला दूं कि दो वर्ष पहले नवंबर 2022, अक्टूबर 2023 में आपको और पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे को उठाया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. मैं इसे आपको राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में शामिल होने से रोकने के लिए रेखांकित कर रहा हूं, जैसा कि आप कठिन सवालों का सामना करते समय करते रहे हैं.
विश्व वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट 2023 ने गंभीर तस्वीर सामने ला दी है. असामान्य रूप से उच्च पीएम 2.5 स्तर एक गंभीर खतरा होता है, जिसका दो-पांचवां हिस्सा वाहन उत्सर्जन के कारण होता है. सड़क की धूल, खुले में जलना आदि जैसे अन्य कारक भी हैं जो हवा में उच्च कण पदार्थ में योगदान करते हैं.
मुझे यकीन है कि आप जानते हैं कि ऐसा पीएम लंबे समय तक रहने से इसके संपर्क में रहने वाले लोगों की समय से पहले मौत हो जाती है. फेफड़ों की बीमारी और अस्थमा के दौरे पड़ते हैं और सांस संबंधी बीमारिया होती हैं.
शहर के अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों से सबसे अधिक बच्चे और पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों के बढ़ने की नियमित रिपोर्ट्स आ रही हैं. साल-दर-साल यह स्थिति इतनी चिंताजनक है कि यह दिल्ली के लोगों के जीवन के बुनियादी प्राकृतिक और मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने के अलावा, सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल से कम नहीं है.
एलजी ने आगे लिखा, मैं पिछले दो वर्षों से वायु की गुणवत्ता में गिरावट से जुड़ी खबरों पर करीब से नजर रख रहा हूं. सर्दियों के मौसम में समाचार रिपोर्ट देखता हूं कि जो दिल्ली सरकार के उदासीन रवैये को दर्शाते हैं. कोई भी स्वाभिमानी नेता इसके लिए जिम्मेदार होता और ठोस कदम उठाता. लेकिन अफसोस की बात है कि आप कुछ नहीं करते हैं.
सर्दियों में हवा की गुणवत्ता इस हद तक गिर जाती है कि हमें स्कूलों और कार्यालयों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ता है. आपके मंत्री “आपातकालीन उपायों”, दिखावटी बातों और मीडिया बाइट्स की हास्यास्पद कवायद में उलझकर मुद्दे को उलझा देते हैं.
एलजी ने आगे कहा कि, अगर आप कोई समाधान खोजने में असमर्थ हैं तो मैं दिल्ली के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य हूं.
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