International Forest Day: जंगल मनुष्य के साथ-साथ सभी प्राणियों के जीवन को बनाए रखने और उसे पोषित करने के लिए काफी जरूरी हैं. यह न केवल मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करते हैं बल्कि प्रकृति और इंसान के बीच संतुलन स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसी क्रम में हर साल 21 मार्च के दिन को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस (International Day of Forests) के रूप में मनाया जाता है. इसे मनाए जाने के पीछे के मुख्य उद्देश्यों में वनों के प्रति समाज और लोगों में जागरूरकता लाना और साथ ही इस दिशा में मुमकिन कदमों का उठाया जाना भी शामिल है.
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस का इतिहास
इतिहास गवाह है कि जिसने भी जंगलों को साथ लेकर विकास को आगे बढ़ाया है उसे कभी प्रकृति के कोप का सामना नहीं करना पड़ा. इस दिशा में समय-समय पर कई प्रकृतिवादी और विद्वान लोगों ने अपनी आवाजें भी बुलंद की हैं. अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस को मनाने का श्रेय संयुक्त राष्ट्र फोरम और फूड एण्ड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) को जाता है. इसकी नींव साल 2012 में रखी गई थी फिर अगले साल से इसकी शुरूआत 21 मार्च साल 2013 को सबसे पहले सेलिब्रेट किया गया था. तभी से इसे उसी जोश और उत्साह के साथ हर साल बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है.
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 2024 की थीम
हर साल वनों के प्रति उत्साह को बनाए रखने के लिए हर साल अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस किसी विशेष थीम रखकर मनाया जाता है. यह थीम लोगों को खास किस्म का मैजेस देने के साथ उनकी जागरूकता को भी बढ़ाती है. जिसे देखते हुए इस साल 2024 की थीम फोरेस्ट एण्ड इनोवेशन (forest and Innovation) रखी गई है.
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस का महत्व
यह बात ज्यादातर लोग जानते हैं कि पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए जितनी जरूरी ऑक्सीजन है उतने ही पेड़ और जंगल भी है. यह जहां एक तरफ तमाम वन्य जीवों का घर होते है तो वहीं दूसरी तरफ मनुष्य भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इन्हीं पर ही आश्रित है. विकास की विकास की अंधी दौड़ के चलते
कई देश तेजी से जंगलों को साफ करा रहे हैं जिसके कुप्रभाव पूरी दुनिया झेल रही है. आज के समय में प्रदुषण और ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी समस्याओं को झेलना पड़ रहा है. जंगलों को बचाने की पहल एक सामुहिक पहल है, जिसमें सभी को मिलकर भागीदारी सुनिश्चित करने की जरूरत है, अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस इसी दिशा में एक कदम है.
जंगल क्यों हैं जरूरी?
जंगल हमारे दैनिक जीवन की लगभग ज्यादातर जरूरतों को पूरा करते है. स्वच्छ हवा का एक बड़ा स्त्रोत जंगलों से ही पूरा होता है. ऐसे में इस दिवस का हम सभी के जीवन में महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि वनों का अस्तित्व मानव के अस्तित्व से भी जुड़ा हुआ है. ऐसे में विकास की आड़ में जंगलों की कटाई करने को कभी भी ठीक नहीं ठहराया जा सकता है. ग्लोशियरों का पिघलना और ग्लोबल वॉर्मिंग जंगल कटने का सबसे बड़ा सिग्नल है, इसे रोकने के लिए बड़े कदम उठाना जरूरी है क्योकि वनों के विकास में ही लोगों का विकास निहित है.
भारत में वनों की स्थिति
भारत में वनों की स्थिति की बात करें तो (India State of Forest Report 2021) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कुल वन और वृक्ष आवरण 8,09,537 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जोकि पूरे देश के 24.62% भौगोलिक क्षेत्र को ही कवर करता है. वहीं 2019 की तुलना में 2261 वर्ग किलोमीटर की क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है यह डेटा वनों के विकास के मामले में सकारात्नत वृद्धि की तरफ संकेत करता है. वहीं सबसे ज्यादा जंगल भारत के मध्य प्रदेश राज्य में हैं. केंद्र सरकार की तरफ से इस दिशा में ग्रीन इंडिया मिशन, हरित भारत मिशन जैसी पहल भी शुरू की गई हैं.
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