दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका अचानक वापस ले ली है. याचिका वापस लेते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा है कि हमें जो बात कहनी है, वो अब हम निचली अदालत में जाकर कहेंगे.
अब सवाल ये उठ रहा है कि अचानक केजरीवाल ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस क्यों ली? क्या केजरीवाल को पता चल गया है कि उनके खिलाफ ईडी को पक्के सुबूत मिल चुके हैं और शीर्ष अदालत उनकी याचिका को सिरे से नकार देगी? या फिर याचिका वापस लेने के पीछे आम आदमी पार्टी की कोई नई रणनीति है.
जानकारों का मानना है कि ऐसा करने के पीछे केजरीवाल की मजबूरी ही है. केजरीवाल की लीगल टीम ने उन्हें सुझाव दिया है कि हमें पहले लोअर कोर्ट में जाना चाहिए. वहां राहत नहीं मिलने पर हाई कोर्ट जाएंगे. उसके बाद भी राहत नहीं मिली तो ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए.
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगता है तो उनकी जमानत पर संकट मंडराने लगेगा. उसके बाद आगे का कोई भी रास्ता बंद हो जाएगा. जोकि होना तय माना जा रहा है, क्योंकि जिस तरह से गुरुवार (21 मार्च) को दिल्ली हाईकोर्ट में ईडी ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए सबूत पेश किए और हाईकोर्ट ने केजरीवाल को निचली अदालत द्वारा दी गई अंतरिम बेल के फैसले को निरस्त करते हुए गिरफ्तारी का रास्ता साफ किया था, उससे तो यही पता चलता है कि ईडी द्वारा हाईकोर्ट को दिए गए सबूतों में दम है. अब ऐसे में मजबूरी में आम आदमी पार्टी द्वारा सुप्रीम कोर्ट को सबसे आखिरी दांव के रूप में रखने का निर्णय लिया गया है.
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